अक्सर मै और वो मिल जाया करते थे इस पार्क मे उस वक़्त थोड़ा मुझे अजीब तो लगा पर फिर सब समान्य था
ज़िदंगी एक सच्चाई से भागता फिर रहा था इतने सालों से की पता नही
पार्क उस बेंच पर बैठे बैठे मै उसे देख रहा था वो भी कुछ देर बाद मेरे पास आ कर बैठ गया
शाम को अक्सर मै आता था ऐसे ही पार्क मे वो भी आता था...
हमारे बीच थोड़ी बहुत बाते होती थी फिर वो भी चला जाता था और थोड़ी देर बाद मै भी....
हम एक ही सोसाइटी मे रहते थे विंग अलग अलग थी...
मै अकेले रहता था वो अपने मामा मामी के साथ उसके मम्मी पापा गाँव मे रहते है वो यहाँ शहर मे...
मेरा नाम राम है पूरा नाम राम शर्मा यहाँ दिल्ली मे काम करता हूँ एक गैर सरकारी बैंक मे...
वो मुझसे 9 साल छोटा है बाते लेकिन उसकी छोटे उम्र के लोगो जैसी नही है मेरी उम्र 27 साल और उसकी 18 साल अरे मैंने उसका नाम तो बताया नही उसका नाम आयुष है....
हमलोगो को दोस्त नही कहा जा सकता कह सकते शाम एक साथ बिताने वाले....
हर शाम को मिलना फिर बाते करना ना जाने क्यो उसका साथ अच्छा लगता था
वैसे बता दु की मेरे दोस्त है ही नही या कभी बन नही पाए...
शायद डर की वजह से है एक डर....
मैंने आयुष को भी बताया था की मेरे दोस्त नही बनते और वो पहला इंसान है जिस से मां के बाद इतनी बाते की है मैंने...
उसने पूछा था ऐसा क्यो...
मैंने जवाब नही दिया था...
24 May 2017
मोबाइल की रिंग बज रही थी सुबह सुबह देखा तो मम्मी थी फोन उठाते ही उन्होंने कहा
जन्मदिन मुबारक हो बेटा
मैंने मा से कहा आज 24 तारीख है उन्होंने पूछा की तुझे याद नही रहता कहाँ खोया रहता है हा आज 24 है और तेरा जन्मदिन....
मा से कुछ देर बात करने बाद फोन रख कर बालकनी की तरफ चला गया...
आज बिल्कुल भी मन नही था काम पर जाने सो छुट्टी ले लिया था....
और फिर सोने चला गया हर साल ऐसे ही मेरा ये खास दिन गुजरता है
सो कर 11 बजे उठा तो देखा की मा की काल लगी थी....
जनता था मा क्या बात करेंगी इसलिए काल बैक नही किया....
नहा कर खाना बनाने मे लग गया....
समय ऐसे ही बिताया कुछ फिल्म्स देखी शाम के 5 बजने वाले थे तो चाय बना कर बालकनी मे बैठ गया
नीचे पार्क मे देखा तो आयुष बेंच पर बैठा था....
मै भी चाय खत्म कर के चला गया...
चाय के चक्कर मे लेट था मै 6 बजने मे 20 मिनट थे....
जब तक नीचे पहुँचा तो आयुष जा चुका था उसको बताया था मैंने की आज मेरा....
मै वापस अपने घर आ गया बालकनी मे बैठ गया सोचा मा से बात कर लू
तो फोन मिलाया मम्मी को...
हा मा...
हेलो बेटा कैसा रहा दिन तेरा कही घूमने गया की नही
नही मा
अच्छा तो अब चला जा बाहर से खाना खा ले जाके
नही मा मै बनाऊंगा अभी
अच्छा सुन मेरी बात वो जौनपुर वाली बुआ ने एक लड़की बताई है बोल तो बात करू
नही मा मुझे शादी नही करनी आज के दिन भी आप
राम अगर कोई तुझे पसंद हो तो बता दे
नही मा.....
तभी डोर बैल बजी
मैंने मा का फोन रख कर खोलने गया
दरवाजा सामने खोला तो देखा आयुष था आज पहली बार....
मैंने उसे अंदर बुलाया और उसे बैठने को कहा उसने मुझे विश किया...
उसने कहा आपका तोहफा समय आने पर दूंगा और अभी ये चॉकलेट लीजिये....
मैंने पूछा यहाँ कैसे उसने बताया आप आये नही तो मैंने सोचा मै ही विश कर दु आके...
अगर मुझे पता होता होता तो केक मंगा लेता...
मैंने उसे से चाय के लिए पूछा उसने हा कर दिया
वैसे भी चाय के लिए कोन मना करता है...
मै किचन मे जब चाय बना रहा था तो उसने आवाज़ लगाई की कितने सारे कपड़े फैला रखे है आपने....
मैंने जवाब दिया अकेले रहता हु ना
तो उसने कहा शादी कर लीजिये
मैंने जवाब दिया कोई मिला नही जो मुझे सम्भाल सके....
मै चाय लेकर आया तो वो मेरे कपड़े तह कर के रख रहा था...
मैंने कहा अरे मत करो
उसने कहा मुझे आता है मामा के यहाँ करता हु...
मैंने कहा ये मेरा घर है तुम्हारे मामा का नही तुम चाय पियो...
मैंने कपड़ो की तरफ देखा और कहा तुम तो सर्वगुंण संपन्न हो...
उसके चेहरे पर एक उदासी सी आ गयी उसने कहा जब मै 12 साल का था तबसे मामा जी के यहाँ रह रहा हु...
बड़ा ही उदास मन से जवाब था ये....
मै साफ साफ देख रहा था ये...
चाय खतम हो चुकी थी उसने कहा अच्छा राम जी मै चलता हु...
वो चला गया ना जाने क्या हो रहा था मुझे पर जो भी था अच्छा था....
मै खुशी खुशी खाना बनाने चला गया...
मै सोच रहा था की ना जाने ऐसा क्या है जो मुझे उसका साथ इतना पसंद है...
डायरी उठा कर लिखने लगा मुझे लिखने का शौक है आज की तारीख डाली 24 may
आज पहली बार लिख रहा था....
"ऐसा रिश्ता जिसका कोई नाम नही है वहाँ मै यहाँ 26 बरस से नही हुई तुमसे मुलाकात एहसासों मे जीये है हर एक पल हर लम्हे, तुम्हारे साथ मुझे एक अंतहीन सफर तय करना है जहाँ तुम हो मै हूँ और बस खामोशियां हो जिसे सिर्फ तुम और मै समझ सके कितनी भी बाधाये पथ पर आये मुझे बस तुम्हारा हाथ कसकर थामना है इस कठिन डगर पर अपने रिश्ते को साथ लेकर जीना है जीवन की अन्तिम घड़ी तक मै जनता हूँ इस दुनिया में एक तुम्हारा साथ ही जो मेरी चेहरे की मुस्कान को कभी उतरने नही देता चाहे कुछ भी हो जाये मुझे तोड सकता है तो सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा मुझे छोड कर चले जाना मुझे अपने से अलग कर देना ये मै कभी होने नही दूंगा ये वादा रहा मेरा तुमसे मेरे हृदय की धडकनो को हर पल तुम्हारी यादो ने ही छुआ है मेरे दिल में इस रूह मे सिर्फ और सिर्फ तुम ही बसे हो मेरी सुबह की शुरुआत तुमसे और रात्रि का अन्त भी तुमसे होता है तुम्हारी अहमियत बहुत है"
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ReplyDeleteBahut hi achcha likha hai apne
ReplyDeleteHii
DeleteBohot acchi hai, aage ki story kab daaloge
ReplyDeleteBhuth hi aachi story hai aur mere liye to aur bhi khas hai ye story kyuki Mera birthday bhi 24 may ko aata hai
ReplyDeleteyr stories toh achi hoti but aap parts live mt dala karo buhut late krte ho aap yr😩😩😩
ReplyDeleteNext part kab aayega
ReplyDeletemeri bhi story padh lo koi
ReplyDeleteNice sir I like it
ReplyDeletePlzz Complete Your Nikhil Nd Krishna Love Story
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ReplyDeleteKayan ki zindegi"ek simple masoom ladke ki pyaar aur dard ki kahani..please read once ...i hope ye Kayan ki kahani bhi apko bahot khusi degi..
ReplyDeleteMy bloger link is here
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https://boyslovestoryhindi2021.blogspot.com/2021/03/kayan-ki-zindegi-part-7.html
ReplyDeleteThe subject is good one & poetry at the end is very impressive
ReplyDeletehttps://boyslovestoryhindi2021.blogspot.com/2022/02/kayan-ki-zindegi-part-11.html
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