निखिल की प्रेम कहानी ( Episode 1)

मति

मणि

मणि तुम्हे कुछ नहीं होगा निखिल नींद में जोर से चिल्लाये जा रहा था और फिर झटके से उसकी आँख खुल गयी वो पसीने से तरबतर हो चुका था और हांफ रहा था....
निखिल का रूममेट अमन भागकर उसके पास आया और उसके पास बैठते हुए कहा फिर से वही सुना
निखिल ने हाँ में गर्दन हिला दी....
अमन- निखिल समझ नहीं आता रोज सुबह तुझे ये सपना क्यों आता है, क्या तुम्हारे अतीत से जुड़ा है....
निखिल- नहीं हम खुद नहीं जानते बचपन से हमे ये
सपना आता है और सबसे बड़ी बात आखिर कौन है ये मणि क्यों बार बार नींद में हम इसका नाम पुकारते है होगा तेरा कोई आशिक़ अमन ने उसकी टांग खींचते हुए कहा.....
निखिल हमारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है, तुम जाओ यहाँ से

अमन- अच्छा बाबा सॉरी टेबल पर कॉफी रखी है पी
लेना, मैं नहाने जा रहा हु और तुम भी जल्दी से नहा लो, रूचि मैडम का लेक्चर है मिस नहीं करना मुझे।

कहकर अमन बाथरूम की तरफ बढ़ गया

निखिल और अमन 1 साल से हॉस्टल में साथ साथ रह रहे थे रूममेट्स के साथ साथ दोनों अच्छे दोस्त भी थे निखिल के माता पिता की बचपन में ही मौत हो गयी थी तबसे निखिल अपनी दादी के पास रहता और कुछ समय बाद ही उसकी दादी भी चल बसी निखिल बिलकुल अकेला हो गया उसने कॉलेज में एडमिशन लिया और हॉस्टल में ही रहने लगा
पढ़ाई में अच्छा होने के कारण उसे स्कॉलरशिप मिल
जाया करती थी, साथ ही उसके मामाजी सबसे छुपाकर उसे पैसे भेज दिया करते थे..
बचपन से उसे एक ही बात ने परेशान कर रखा था वो था वो सपना जो हर रोज उसे आता था और बचपन से ही उसके हाथ पर एक निशान जैसा कुछ
बना हुआ था जो देखने में किसी आधे पत्ते जैसा लगता था निखिल एक ब्राह्मण परिवार से था लेकिन ना जाने क्यों उसमें गुण क्षत्रिय थे, उसकी चाल उसका व्यवहार, उसके बात करने का तरीका, बिल्कुल अलग था, उसका शांत स्वभाव
सहज बोली, और सादगी हर किसी को उसका दीवाना बनाने के लिए काफी था

"निखिल तू अभी तक यही बैठा है कॉलेज नहीं जाना क्या अमन ने उसे घूरते हुए कहा

निखिल उठा और बाथरूम में घुस गया, जल्दी जल्दी तैयार होकर दोनों बस स्टाप पहुंचे, कुछ ही मिनिट बाद बस आ गयी और दोनों बस में चढ़ गये भी ज्यादा होने के कारण सीट नहीं मिली तो दोनों को खड़े रहना पड़ा, उस बस से अधिकतर कॉलेज स्टूडेंट ही जाते थे..

कॉलेज आते ही दोनों उतर गये, निखिल का कॉलेज में ये दूसरा साल था वो बाकि लड़को की तरह न कैंटीन में जाता ना ही दोस्तों के साथ बैठकर गप्पे लड़ाता क्लास लेने के बाद या तो वो बगीचे में बैठे किताबे पढ़ता रहता या फिर लाइब्रेरी में जाकर नई नई किताबो के बारे में जानकारी लेता रहता अब तक वो लायब्रेरी की अधिकांश किताबे पढ़ चूका
था न वो किसी से ऊँची आवाज़ में बात करता ना ही किसी से कोई बहस, झगड़ा उसे शांत रहना ज्यादा पसंद था और यही वजह थी की कॉलेज के सभी टीचर्स की वो हितेषी था......

पैंट शर्ट पहने, हाथो में किताब लिए, वो अमन के साथ कॉलेज में दाखिल हुया, उसने एक नजर घुमाकर देखा और आगे बढ़ गया निखिल क्लास की तरफ चला गया और अमन अपने बाकि दोस्तों की
तरफ....
निखिल जैसे ही क्लास में दाखिल हुया किसी से टकरा गया हाथ में पकड़ी उसकी सारी किताबे निचे गिर गयी, वो जैसे ही किताबे उठाने के लिए निचे झुका उसका सर उस से टकरा गया जिससे वो टकराया था उसने अपनी बड़ी बड़ी पलको को उठा कर उसकी तरफ देखा......
बिखरे बाल, भूरी आँखे, सुर्ख लाल होठ और चेहरे पर हलकी दाढ़ी थी, गले में कोई चैन जैसा कुछ पहन रखा था उसने निखिल कुछ कहता उस से पहले ही वो बोल पड़ा सॉरी सॉरी, वो मैंने देखा नहीं था
its ohk निखिल ने बिना उसकी तरफ देखे अपनी किताबे उठाते हुए कहा

वो निखिल के चेहरे को बस देखता ही जा रहा था.. निखिल अपनी किताबे उठा चुका था वो जाने लगा तो उस लड़के ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा हाय आई ऍम कृष्णा

निखिल ने उसकी तरफ देखा और किताबो को हाथो में समेटे हुए कहा हमारा नाम निखिल है, 2nd ईयर के स्टूडेंट है.....
हमारा हमारा की होता है, मेरा होता है कृष्णा ने मजाक में कहा...
जी हम ऐसे ही बात करते है निखिल ने कहा और वहा से चला गया....
कृष्णा उसे देखता ही रह गया और सोचने लगा कुछ बात तो है इसमें हमारा पागल कही का कहकर वो मुस्कुराने लगा
कृष्णा ने देखा कॉलेज में एक से बढ़कर एक बला की खूबसूरत लड़किया थी, कोई जीन्स पहने कमर लचकाते घुम रही थी कोई लड़के का हाथ पकडे प्यार भरी बातें कर रही थी लेकिन
उसकी नजर बार बार क्लास में बैठे निखिल पर चली जाती, उसकी सादगी के सामने ये सब लड़किया
कुछ भी नहीं थी वो कोई किताब पढ़ने में मग्न था शायद....
कृष्णा अब भी गेट पर ही खड़ा था तभी बेल बजी और सभी क्लास में आकर बैठ गए।

कृष्णा दिखने में खूबसूरत तो था ही काफी हसमुख भी था लड़किया आते ही उसकी फैन हो गयी और उसके इर्द गिर्द घूमने लगी,, वो सबसे बात कर रहा था पर उसका ध्यान निखिल पर था,, निखिल ने एक बार भी कृष्णा की तरफ नहीं देखा तो उसे लगा की वो घंमडी किस्म का है.....

क्लासे शुरू हो गई, कुछ पढ़ रहे थे और कुछ पढ़ने का नाटक एक पीरियड ख़त्म हुआ टीचर के जाते ही फिर से सब शोर करने लगे निखिल को शोर शराबा बिल्कुल पसंद नहीं था वो उठकर क्लास से बाहर आ गया वो सीढियों में बैठकर किताब पढ़ने लगा कृष्णा अपने दोस्तों के साथ उधर से गुजर रहा था निखिल को देखकर रुक गया और दोस्तों को जाने का इशारा किया.. वो आकर निखिल से कुछ दूरी बनाकर बैठ गया और निखिल से कहा तुम क्या हमेशा पढ़ते रहते हो निखिल हां, हमे पसंद है कृष्णा पर हर वक्त, कोई कैसे पढ़ सकता है निखिल हमे बाकि लोगो की तरह वक्त बर्बाद करना पसंद नहीं.....

कृष्णा उसके जवाब के आगे चुप हो गया और निखिल अपनी किताब में....
कृष्णा ने निखिल की तरफ देखते हुए सोचा कुछ तो खास है इस लड़के में जो इसे बाकि लोगो से अलग बनाता है....
वो कब वहा से उठकर चला गया मुझे पता ही नहीं चला बहुत ढूंढा उसे पर वो नहीं दिखा..

घूमते घूमते वो लायब्रेरी के सामने से गुजरा अचानक उसकी नजर निखिल पर गयी,, वो किताबों को रॉ में लगा रहा था सहसा ही कृष्णा के कदम भी लायब्रेरी की तरफ बढ़ गए वो बिल्कुल निखिल के सामने वाली रॉ में किताबे देखने लगा दोनों एक ही रॉ के दोनों तरफ थे किताबे देखते हुए दोनों ने एक ही किताब को उठाया....
कृष्णा को अपने सामने देखकर निखिल ने कहा आप रख लीजिये कहकर वो दूसरी साइड चला गया...
कृष्णा ने किताब ली और टेबल पर आकर बैठ गया पर उसका ध्यान कही और ही था,, जीस निखिल के हम पर वो हसा था वो ही अब उसे बहुत भा रहा था, कितनी तहजीब थी उसके शब्दों में वो कम बोलता था पर जो बोलता था सीधा दिल को लगता था क्लासे फिर शुरू हो गयी, कृष्णा आकर इस बार निखिल के बगल वाली कुर्सी पर आ बैठा.....
निरंजन सर क्लास ले रहे थे पर उसका ध्यान पढ़ाई में नहीं था तभी निरंजन की नजर उस पर पड़ी और उन्होने कृष्णा को खड़े होने को कहा....

कृष्णा खड़ा हो गया तो निरंजन सर ने कहा तुम नाम क्या है तुम्हारा जब तुम लोगो को पढ़ना ही नहीं होता तो क्लास में आते क्यों हो लड़कियों को देखने या फिर अपने साथ साथ हमारा समय बर्बाद करने माँ बाप ने यहाँ तुम्हे पढ़ने के लिए भेजा है लेकिन तुम्हे तो आते ही यहाँ प्यार मोहब्बत करनी है, कॉलेज के बहाने घूमने जाना है, घरवालों का पैसा
बर्बाद करना है बस बाहर निकलो मेरी क्लास से.....

कृष्णा बिना कुछ बोले चुपचाप क्लास से बाहर चला गया निखिल को निरंजन सर की ये बात बिलकुल अच्छी नहीं लगी वो अपनी जगह खड़ा हुया और उनसे धीरे से कहा सर माफ़ी चाहते है, लेकिन बिना जाने आपने उनसे इतना सब कहा ये सही नहीं है, क्लासे आज से ही शुरू हुयी है, और यहाँ पुराने से ज्यादा नए स्टूडेंट्स है जिनको यहाँ के रूल्स का
नहीं पता,, वो लड़का आज ही क्लास में आया है, और आप भी पहली बार उनसे मिले है आप उनको जानते तक नहीं फिर भी आपने उनका बैकग्रॉउंड बता दिया, हम ये नहीं कह रहे की आप गलत है पर इस तरह सबके सामने किसी स्टूडेंट के बारे में ये सब बोलकर उसे सबके सामने शर्मिंदा न किया करे यही मेरी आपसे रिक्वेस्ट है।

निखिल की बात सुनकर निरंजन को अपनी गलती का अहसास हुआ, उन्होंने निखिल से कहा सॉरी निखिल आगे से मैं इन सब का ध्यान रखूगा...

सब निखिल की तरफ देखने लगे. लड़के सब उसके फैन हो चूके थे और लड़किया जल भून गयी एक टीचर भी निखिल की बात मानने को तैयार था....

बाहर खड़ा कृष्णा सब सुन रहा था उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था निखिल उसके लिये ये सब बोल रही थी क्लास खत्म होने के बाद निरंजन बाहर चला गया और बाहर जाकर कृष्णा से कहा  i m sorry
और कृष्णा "it's ok " सर कृष्ण ने कहा

कॉलेज की छुट्टी हो चुकी थी. सभी घर जाने लगे कृष्णा निखिल के पास आया और कहा  Thank you
किसलिए?
कृष्णा वो सर से तुमने मेरे लिए वो सब कहा ना
आपकी जगह कोई और होता तो भी हम वही करते,
कहकर निखिल वहाँ से चला गया.....
कृष्णा मुंह फाड़े उसे देखता ही रह गया वो चंद पलो में कृष्णा को अर्श से फर्श पर गिरा कर चला गया..
जिस लड़के पर कॉलेज की आधे से ज्यादा लड़कियाँ पहले दिन ही फ़िदा हो गयी उसे निखिल सबके बराबर करके चली गया कृष्णा सोच ही रहा था की तभी उसके दोस्त अमित ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा वो ना पटेगा
कृष्ण ने अमित की तरफ देखकर मासूमियत से पूछा
क्यों ?
क्योकि भाई उसे पढ़ाई के अलावा कुछ अच्छा नहीं लगता, कॉलेज के सब लड़कियों कोशिश कर चुकी है पर वो किसी कोभाव नहीं देता, उसका सपना है I A S ऑफिसर बनने का और उसके अलावा वो कुछ नहीं सोचता....
कृष्णा उत्साहित होकर बोला और क्या जानता है उसके बारे में अमित उसका नाम निखिल शर्मा है, मेवाड़ की रहने वाला है माँ-बाप बचपन में ही गुजर गए, परिवार में अपना कहने के लिए कोई नहीं था तो यहां आ गया अभी 1 साल से हॉस्टल में रह रहा है, कॉलेज की सबसे होशियार और अच्छा स्टूडेंट है
पिछले साल ही यूनिवर्सिटी टॉप करके उसने स्कॉलरशिप पाया है, ज्यादा किसी से बात नहीं करता, इसलिए तू इसके सपने मत देख तेरा कुछ नहीं होगा, मैं जितना जानता था।
तुझे बता दिया....
कृष्णा- मेवाड़ से है, तभी इतना मस्त बोलता है।

अमित ओह्ह सपनो के शहंशाह बाहर आओ अपनी
दुनिया से तुम्हारी दाल वहाँ नहीं गलने वाली....

कृष्ण ने अमित को कंधे पर हाथ रखते हुए कहा अगर ऐसा है तो अपनी किताब में लिख लो इस कृष्णा की राधा तो अब यही बनेगी.....
उसके बाद दोनों घर चले गए......
निखिल और अमन भी हस्टल में आ चुके थे निखिल अपने पैर पसार बैठ गया और अमन उसकी गोद में।
सर रखकर लेट गया और कहने लगा आज मैंने जो देखा कसम से मेरा दिल ही बाहर आ गया, क्या लड़का है यार भूरी भूरी आँखे, उसकी हाइट उसकी बॉडी उसका चलना,मुस्कुराना बात करना उफ़ ऐसा लड़का मैंने आज तक नहीं देखा....

निखिल ने अमन से कहा तो तुम कॉलेज ये सब देखने जाते हो..

अमन हां तुम्हारी तरह दूसरी दुनिया के तो है नहीं जो पूरा दिन किताबो में घुसे रहे.. अच्छा वो सब छोड़ उस लड़के के बारे में सुन क्या दिखता है यार वो, कॉलेज की सारी लड़किया उस पर फ़िदा है और क्यों न हो उसका नाम भी तो "कृष्णा" रह गया..

निखिल ने चौंककर कहा कृष्णा

अमन हाँ कृष्णा,, तभी तो सब लड़किया गोपिया बनी है उसके आगे पीछे घूम रही थी, पता नहीं कौन बनेगी उसकी राधा.....

निखिल ने अमन से कहा तेरा दिमाग ख़राब हो गया है
अमन तू क्या जाने प्यार, दोस्ती, क्रश, घूमना, फिल्मे,
रोमांस तुझे तो तेरी इन स्टुपिड सिली बुक्स से फुर्सत ही नहीं मिलती....

निखिल हाँ हम खुश है इनके साथ....

अमन क्या खुश हो तुम्हारी जिंदगी में कुछ है ही नहीं,एकदम बोरिंग इंसान की तरह रहते हो कॉलेज की उम्र में ही प्यार, रोमांस होता है.....

निखिल तुम्हें क्या लगता है हम बाहर नहीं निकलना चाहते तुम सब लोगो की तरह हम भी बाहर की दुनिया देखना चाहते है, फिल्मे घूमना, नए दोस्त बनाना, दोस्तों के साथ वक्त बिताना हमे भी पसंद है लेकिन तुम जानते हो मामाजी कैसे सबसे छुपकर हमारी मदद कर रहे है ताकि हम अपनी पढ़ाई
कर सके और कुछ बन सके, हमारे लिए कुछ बनना जरुरी है....
प्यार हम बाद में भी कर सकते है, हमारे लिए जो बना है वो एक दिन हमें मिल जायेगा...।
अमन मेरा वो मतलब नहीं था सॉरी..

निखिल इसकी कोई जरुरत नहीं है, तुम हमारे दोस्त हो हमे तुम्हारी बात का बुरा नहीं लगता

कुछ देर बाते करने के बाद अमन चली गयी और निखिल निचे गार्डन में आ गयी, हर शाम वो बगीचे में आकर सभी पौधो को पानी देने और उनकी देखभाल करने का काम करता था......
उसे ये सब करके खुशी मिलती था, हॉस्टल में भी वो सबकी मदद किया करता था उसका व्यवहार ही ऐसा था की हर कोई उस से दोस्ती करना चाहता था......

लेकिन वो सबसे ज्यादा बात नहीं करता था, उसका मानना था की हर रिश्ता टूटने के लिए बना है, जरा सी गलतफहमी से रिश्ते धराशायी हो जाते है उसकी सोच ही उसे सबसे अलग बनाती थी......

अँधेरा होने पर निखिल वापस ऊपर अपने कमरे में चला आया...
खाना खाकर वो किताबे खोल कर बैठ गया और
पढ़ने लगा अमन खाना खाने के बाद बाकि के लड़को के साथ गप्पे लड़ाने बैठ जाया करता थी
10 बजे जब वो अपने कमरे में आया तो उसने देखा निखिल इत्मीनान से बैठकर पढ़ाई कर रहा है अमन उसके लिए कॉफ़ी बना लाया और उसके पास रखी चेयर पर बैठते हुए कहा .....

इतना मत पढ़ा करो यार, मुझे जलन होने लगती है
अच्छा छोड़ो ये लो कॉफ़ी पीओ- अमन ने कॉफ़ी का मग निखिल की तरफ बढ़ाते हुए कहा...

निखिल ने कॉफी ली और पिने लगा अमन अच्छा ये बताओ तुम क्या बनना चाहते हो...

निखिल- हम एक आई.ए.एस. आफिसर बनना चाहते
है हमारे पापा का सपना था दादी बताती थी की उनको भी पुलिस में जाना था लेकिन किसी वजह से नहीं जा सके लेकिन अब हम उनके सपने को पूरा करना चाहते है।

तुम जरूर पूरा करोगे अमन ने मुस्कुराते हुए कहा
और फिर दोनों अपने अपने बिस्तर पर सोने चले गये

अगले दिन फिर उसी सपने से निखिल के दिन की शुरुआत हुए.,
निखिल और अमन कॉलेज पहुंचे और अपनी अपनी
क्लास में चली गये, दोनों 2nd ईयर में ही थी लेकिन
सब्जेक्ट अलग होने की वजह से उनकी क्लास अलग अलग लगती थी,, निखिल जैसे ही क्लास में पहुंचा किसी ने कहा..

हेलो सर, कीधर

निखिल ने देखा टीचर की टेबल पर एक हट्टा कट्टा लड़का बैठा था और दो तीन लड़के उसके आस पास खड़े थे उसने बिना चेहरे के हाव भाव बदले सख्ती से कहा क्लास लेने आये है....
उस लड़के ने टेबल से उठते हुए साथ वाले से कहा तेवर तो देखो इनके, लोग मेरे सामने सर झुका के खड़े होते है....
साथ खड़े लड़के हसने लगे

निखिल आपके सामने सर झुका के खड़े होने वाले या तो आपसे कमजोर होंगे या फिर आपके चमचे, ना हम खुद को कमजोर समझते है न ही हमे सर झुकाने की जरुरत है"
निखिल ने उसकी आँखों में आँखे डालकर कहा
निखिल की बात सुनकर उस लड़के को गुस्सा आ गया उसने निखिल के करीब आकर कहा तुम शायद जानते नहीं हो मेरा बाप कौन है?
निखिल आपका बाप कौन है ये हमे जानने की जरुरत नहीं तुम जानते हो तुम किस से बात कर रहे हो....
निखिल जी हाँ, एक आमिर बाप की बिगड़ी हुयी औलाद से कहकर निखिल अपनी सीट की तरफ बढ़ गया उस लड़के ने गुस्से में जैसे ही निखिल की तरफ बढ़ने की कोशिश की निरंजन सर क्लास में आ गए उन्होंने सबको अपनी अपनी सीट पर बैठने को कहा
पैर पटकते हुए वो लड़का अपनी सीट पर आ बैठा....

वो लड़का शहर के मिनिस्टर ओमकार का बेटा रवि अग्रवाल था, इकलौता होने के कारण उसकी हर जिद पूरी की गयी, इसलिए हर जगह वो अपने बाप की पावर के नाम से लोगो पर धौंस जमाता रहता था लेकिन निखिल ने आज उसको....
डांटकर उसके गुरुर को तोड़ दिया वो गुस्से में निखिल की तरफ देख रहा था, कृष्णा इतनी देर से ये सब देख रहा था उसकी हंसी नहीं रुक रही थी जैसे ही निखिल आकर बैठा उसने फुसफुसाते हुए कहा
वाह यार तुमने तो सबके सामने उसकी बैंड बजा दी
निखिल ने उसकी तरफ देखा और उसे सामने देखने को कहा

निरंजन सर ने पढ़ाना शुरू किया सभी एकाग्र होकर पढ़ने लगे लेकिन कृष्णा का ध्यान बोर्ड को छोड़कर सब जगह था वो एक बार गुस्से से भरे रवि को देखता और अब बार निखिल को देखता और हसने लगता... 
निखिल के साथ साथ रवि को अब कृष्णा पर भी गुस्सा आ रहा था.. तभी निरंजन सर की नजर कृष्णा पर पड़ी और उन्होंने कृष्णा से कहा
कृष्णा क्लास से बाहर जाकर खड़े हो जाओ....

कृष्णा तो यही चाहता था क्योकि उसे पढ़ाई से कोई लेना देना नहीं था उसने मुस्कुराते हुए निरंजन सर से थक्यू सर कहा.....
और क्लास से बाहर जाकर खड़ा हो गया ।
निरंजन सर ने वापस पढ़ाना शुरू कर दिया, क्लास से बाहर निकलने के बाद भी कृष्णा को चैन नहीं था जिस खिड़की के पास निखिल बैठा था वो गेट के बिलकुल पास थी और कृष्णा भी वही खड़ा था, वो बड़ी उटपटांग हरकते कर रहा था,, ना चाहते हुए भी निखिल की नजर बार बार उस पर चली जाती उसने अपना ध्यान बोर्ड की तरफ लगाने की बहुत कोशिश की लेकिन नहीं लगा पाया...
अचनाक निखिल की नजर खिड़की पर ही जम गयी कृष्णा अपने बैग को दोनों हाथो में पकड़े डांस कर रहा था.....
निखिल का ध्यान क्लास में ना होने के कारण निरंजन सर ने उसे भी क्लास से बाहर जाने को कह दिया,, निखिल चुपचाप क्लास से बाहर आ गया, उसने घूरकर कृष्णा को देखा तो उसने कहा हाय तुम्हे भी बाहर निकाल दिया, सर को होनहार स्टूडेंट्स की कोई कदर ही नहीं है उसने मुंह बनाते हुए कहा........

निखिल आप जानते है आपकी वजह से मेरा कितना नुकसान हुआ है, आप ऐसी हरकते क्यों करते है, जब पढ़ना ही नहीं तो फिर कॉलेज आकर अपना वक्त बर्बाद क्यों करते हो.....

कृष्णा - मुझे पढ़ना बिलकुल पसंद नहीं है वो तो बस पनिशमेंट के लिए पापा ने यहाँ भेजा है मुझे.....

निखिल लेकिन आप अपने साथ साथ दुसरो को पनिश क्यों क्यों कर रहे है हमारा कितना इम्पोर्टेन्ट लेक्चर मिस हो गया

कृष्णा लेकिन मैंने क्या किया?

निखिल आपने कुछ नहीं किया सब हमारी गलती है कहकर निखिल दिवार से पीठ लगाकर खड़ा हो गया।

कृष्णा ने निखिल की तरफ देखा वो गुस्से में और भी प्यारा लग रहा था, कृष्णा उसे देखता रहा और वो परेशान सा न जाने क्या बुदबुदा रहा था, कृष्णा ने उसकी तरफ कोल्डड्रिंक की बोतल बढ़ाते हुए कहा पि लो शायद तुम्हारा गुस्सा थोड़ा ठंडा हो जाये....

निखिल ने उसे घूरकर देखा और वहा से चला गया कृष्णा अब भी बेपरवाह सा वहा खड़ा कोल्ड्रिंक पि रहा था आज पहली बार निखिल को किसी पर गुस्सा आ रहा था, निखिल लायब्रेरी की तरफ चला गया उसे लेक्चर मिस होने का बहुत दुःख था लेकिन अब वो क्या कर सकता था, वो रॉ से कुछ किताबे निकालकर टेबल की तरफ आने लगा की किसी
से टकरा गया और सारी किताबे गिर गयी जैसे ही उनके उठाने के लिए निचे झुकी उसका सर सामने वाले से टकरा गया.....

उसने जैसे ही देखा सामने कोई और नहीं कृष्णा ही था "आप" उसने गुस्से से कहा
सॉरी उसने किताबे उठाते हुए कहा "आप यहाँ क्या कर रहे हो" निखिल ने उस से अपनी किताबे छीनते हुए कहा.....

"गाना गाने आया हु लायब्रेरी में लोग क्यों आते है पढ़ने तो पढ़ने ही आया हु by the way मेरे पास अभी बहस करने के लिए वक्त नहीं है कहकर कृष्णा वहां से निकल गया....

निखिल उसे देखती ही रह गया और सोचने लगा अजीब लड़का है...

उसे कृष्णा से खिन्न होने लगा वो जाकर टेबल पर बैठ गया कृष्णा भी आकर उसके सामने बैठ गया और पढ़ने का नाटक करने लगा, कुछ देर बाद एक लड़की आयी और कृष्णा से कहा एक्सक्यूज़ मी, क्या मैं यहाँ बैठ सकती हु....

कृष्णा ने लड़की को देखा जींस और टॉप पहने बालो को खुला रखे, होठो पर बड़ी सी मुस्कान लिए हुए थी...
कृष्णा ने निखिल को चिढ़ाने के लिए उसे हाँ कह दी वो उस से चिपककर बैठ गयी....

दोनों पढ़ाई से ज्यादा बातो में रूचि ले रहे थे.. निखिल को बार बार डिसट्रब हो रहा था इसलिए उसने उठकर तेज आवाज में कहा Can you please just keep quiet.....

कृष्णा और उस लड़की के साथ साथ सभी निखिल की तरफ देखने लगे लायब्रेरियन ने निखिल से शांत रहने का इशारा किया, निखिल फिर से किताब में देखने लगा लेकिन उसका ध्यान किताबों में नहीं था, कृष्णा जान बूझकर उसे परेशान करने के लिए ये सब कर रहा था...
निखिल वहा से उठकर चला गया, और कॉलेज में बनी भगवान की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और आँखे बंध कर भगवान से कहने
लगा हे ईश्वर हम नहीं जानते आज हमे इतना गुस्सा
क्यों आ रहा है हम शांत रहने की जितनी कोशिश करते है उतना ही मन अशांत होता जा रहा है.....

प्राथना कर निखिल सीढ़ियों की तरफ चला गया कृष्णा ने उसे प्रार्थना करते देख लिया था इसलिए निखिल के जाते ही वो मंदिर के सामने गया और बोला -उसने जो मांगा है वो उसे दे....
देना पर उस से पहले मेरी सुनो, उसे मैंने बहुत परेशान कियाहै और आगे भी करूंगा क्योकि वो बहुत अच्छा है, मुझे उस से मिलाने के लिए थक्यू... मुह्हह्हा...
कृष्णा वहा से चला गया.

निखिल घर आ गया आज उसका मन बहुत खराब था शाम को वो हॉस्टल की छत पर चला गया उसे ढूंढते ढूढ़ते अमन भी वही आ गया....

अमन क्या हुआ तुझे आज यहाँ कैसे तू तो यह कभी
नहीं आता "अमन ने आते ही सवालों की झड़ी लगा दी।

बस ऐसे ही आज कुछ अच्छा नहीं लग रहा, निखिल ने बुझे मन से कहा

अमन जानता था निखिल इस जगह आकर खड़ा तभी होता था जब वो बहुत परेशान होता था या फिर दुखी निखिल का मूड चेंज करने के लिए अमन ने कहा अच्छा
सुन, वो जिस लड़के के बारे में कल मैं बात कर रहा था ना....

उसके बारे में बहुत कुछ जानकारी हासिल कर ली मैंने वो प्रतापगढ़ का रहने वाला है यहाँ किसी दोस्त के घर रहता है, उसके पापा ने पनिशमेंट के लिए साल के बिच में ही उसका इस कॉलेज में दाखिला कराया है, उसके पापा प्रतापगढ़ के जमींदार है बहुत ही सख्त मिजाज है...

निखिल तूम किस लड़के की बात कर रही हो निखिल ने समझ की स्थिति में पूछा....

अमन अरे वही कल जो नया आया था कॉलेज में
"कृष्णा"

निखिल वो, उस लड़के का तो तू नाम मत ले मेरी परेशानी की वजह वो ही है जानता है आज उसने क्या किया और उसके बाद निखिल ने कॉलेज की सारी बात अमन को बता दी

लेकिन अमन तो उल्टा कहने लगा हाय क्या किस्मत है तेरी जिस लड़के के पीछे लड़किया पागल हुयी घूम रही है वो तेरे पीछे घूम रहा है, काश तेरी जगह मैं होता.....

निखिल अमन
अमन हां निखिल

निखिल पता नहीं क्यों पर वो जब भी हमारे सामने आता है हम परेशान से हो जाते है, एक अजीब सी बेचैनी पता नहीं क्यों उसे देखते ही हमें गुस्सा आने लगता है....
अमन- यार वो कितना क्यूट है, उसे देख के तुम्हे गुस्सा आता है
निखिल - तुमसे तो बहस करना बेकार है, चलो खाने का वक्त हो गया है दोनों नीचे आ गये...

कॉलेज जाते हुए एक हफ्ता गुजर गया, नोकझोंक और हलकी फुलकी परेशानियों में निखिल कॉलेज जाता रहा कृष्णा उससे बात करने की बहुत कोशिश करता लेकिन वो हर बार उस से दूर चला जाता, अब तक उसके कॉलेज में कई दोस्त बन चुके थे, लेकिन निखिल ने उसके दिल में एक खास जगह बना ली थी....
वो निखिल को हमेशा परेशान करता रहता लेकिन दिल ही दिल में वो उसकी बहुत रिस्पेक्ट करता था अमन से भी उसकी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी......

एक सुबह जब निखिल कॉलेज पहुंचा तो उसे पता चला मैनेजमेंट ने सबके लिए एक फ्रेशर पार्टी रखी है.....

सभी बहुत एक्साइटेड थे कॉलेज खत्म होने के बाद निखिल और अमन घर आ गये अमन आज शाम को तुम क्या पहन कर जा रहे हो निखिल मैं कहीं नहीं जा रहा तुम चले जाना.....
अमन ठीक है तो फिर मैं भी नहीं जा रहा अमन ने बिस्तर पर गिरते हुए कहा

निखिल- अमन, मेरी वजह से तुम क्यों अपनी पार्टी खराब कर रहे हो.. तुम चले जाओ ना

अमन-  अगर जाएंगे तो दोनों साथ जाएंगे वरना कोई नहीं जाएगा

निखिल काफी देर सोचता रहा और फिर कहा- ठीक है हम भी चलेंगे,
अमन खुश हो गया ..
"अच्छा तुम जल्दी से तैयार हो जाओ 7 बजे हमे वहा पहुंचना भी है"

निखिल बाथरूम की तरफ बढ़ गया जब बाहर आयी तो अमन तो उसे देखता ही रह गया...

निखिल - तुम्हारी नौटंकी बंद हो गयी हो तो चले निखिल ने उसका कान खींचते हुए कहा

वार्डन से परमिशन लेकर वो दोनों हॉस्टल से बाहर आ गये कुछ ही देर में दोनों कॉलेज पहुंचे अधिकतर स्टूडेंट्स और टीचर्स आ चुके थे, सबने एक से बढ़कर एक शानदार कपड़े पहन रखे थे लेकिन उन सब में सबसे अलग लग रहे थे......
निखिल उसकी सादगी ही उसे ओरो से खूबसूरत बनाती थी दोनों अंदर हॉल में गये सबकी नजरे निखिल पर टिक गयी

अमन अपनी दोस्तों की तरफ चला गया, निखिल एक कोने में खड़ा हो गया तभी रूचि मैडम उसके पास आयी आज वो निखिल की तारीफ करती नहीं थक रही थी,, निखिल कुछ देर उनसे बाते करता रहा तभी गेट के सामने एक गाड़ी आकर रुकी गाड़ी से रवि अपने कुछ दोस्तों के साथ उतरा, और अंदर आया, कुछ लड़किया उसकी तरफ बढ़ी और फिर सब उस से बातचीत करने लगी, पर रवि की नजरे तो आज किसी और पर ही थी और वो था निखिल सब को साइड कर वो निखिल के पास आया और कहा उस दिन के लिए सॉरी....
निखिल - its ok
"बहुत खूबसूरत लग रहा था उसने एक
गुलाब निखिल की तरफ बढ़ाते हुए कहा"

निखिल ने फूल लिया और बिना कुछ कहे दूसरी तरफ चला गया उसने फुल एक फ्लावर पॉट में लगा दिया सब पार्टी एन्जॉय करने लगे, निखिल ने चारो तरफ देखा उसे कृष्णा कही दिखाई नहीं दे रहा था, तभी उसने पीछे से निखिल के कान में कहा "मुझे ढूंढ रहे हो निखिल ने घबराकर पीछे देखा कृष्णा मुस्कुराते हुए खड़ा था.....

"आप हमेशा ऐसी हरकतें क्यों करते हो उसके खीजते हुए कहा...
कृष्णा ने निखिल को देखा तो बस देखता ही रह गया, लेकिन अपनी भावनाओं को काबू में रखते हुए उसने कहा वैसे मैं तुम्हारे लिए फुल लाया था, अपनी आँखे बंद करो प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़

निखिल ने अपनी आँखे बंद कर ली और जब खोली तो कृष्णा उसके सामने "गोभी" का फूल लिए खड़ा था.....
निखिल कुछ कहता उस से पहले ही कृष्णा बोल पड़ा वो क्या है न जब तुम गुस्सा करते हो ना तो तुम्हारा मुंह ऐसे ही हो जाता है...
और निखिल को गोभी पकड़ाकर वहा से भाग गया.....
निखिल का मन किया उसी गोभी से मरकर उसका मुंह तोड़ दे लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, उसने उसे साइड में रख दिया, उसके चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी तभी एक लड़की आयी और निखिल को एक कागज पकड़ा कर चली गयी निखिल ने उसे खोला तो उसमे लिखा था

"आज की महफ़िल की रौनक सिर्फ तुम हो प्लीज़ स्माइल"

निखिल ने पढ़ा और इधर उधर देखने लगी पर सब अपने आप में बिजी थे निखिल को समझ नहीं आ रहा था की वो कागज किसने भेजा है, कुछ देर बाद अनाउंसमेंट हुयी और कुछ डांस करने के लिए हॉल में आ गए बाकि सब चेयर लेकर बैठ गए निखिल भी चेयर लेकर बैठ गया उसे डांस करने में कोई
रूचि नहीं थी, तभी एक अनाउंसमेंट और हुयी की सबको कपल्स में डांस करना है।

तभी अमित ने कृष्णा के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा आज अच्छा मौका है, अपनी राधा पर अपना जादू दिखाने का.....

कृष्णा खुशी खुशी निखिल की तरफ बढ़ गया वो जैसे ही निखिल के पास पहुंचा रवि ने निखिल की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा...
निखिल lets dance
निखिल-  सॉरी हमे डांस नहीं आता

इसका मतलब तुमने अभी तक मुझे माफ़ नहीं किया रवि ने निखिल की तरफ देखते हुए कहा.

रवि की बात सुनकर निखिल उसके साथ डांस करने चला गया दूसरी तरफ कृष्णा रवि के आने से कबाब में हड्डी जैसा महसूस कर रहा था, पर वो खड़े खड़े दोनों को डांस करते हुए देखता रहा तभी अमन वहां आया और उसे अपने साथ डांस करने के लिए ले गया कृष्णा था तो अमन के साथ पर उसकी नजर बार बार निखिल की तरफ जा रही थी अमन को
समझ आ गया उसने जानबूझकर टर्न किया और निखिल का हाथ पकड़कर खुद रवि की तरफ चला गया और निखिल को कृष्णा की तरफ कर दिया, कृष्णा ने आँखों ही आँखों में अमन  को थंक्यू कहा....

अब निखिल कृष्णा के साथ था कृष्णा बस उसकी आँखों में देखे जा रहा था,,

डांस के बाद सभी खाना खाने लगे निखिल सिर्फ वेज खाते थे इसलिए वो अकेले ही खा रहा था बाकि सभी वेज नॉनवेज सब खाने में लगे थे निखिल खा ही रही थी की तभी कृष्णा आया और उसकी प्लेट में मीठा रखते हुए कहा मीठा खाया.....
करो ताकि तुम्हारी जबान भी थोड़ी मीठी हो जाये बोलकर वो चला गया, निखिल गुस्से में उसे देखता रहा तभी वो पलटा और निखिल की तरफ देखकर बड़ी सी स्माइल देकर चला गया.....

खाने के बाद एक बार फिर सब हॉल में जमा थे,, प्रिंसिपल ने सबको बधाई दी और कहा आज की इस शानदार पार्टी की समाप्ति होगी निखिल के गाने से होगी.....

सबने जोरदार तालिया बजायी और निखिल की तरफ देखने लगे निखिल को कुछ समझ नहीं आया उसने तो आज तक नहीं गाया वो चलकर प्रिंसिपल के पास आया और उनसे कहा सर माफ़ी चाहते है, पर हमने आज तक कभी नहीं गाया है, हम नहीं गा पाएंगे

"लेकिन उसने तो कहा तुम बहुत अच्छा गाते हो, और तुम्हें बहुत सारे अवार्ड मिल चुके है गाने के लिए प्रिंसिपल ने कहा

"किसने निखिल ने चौंकते हुए कहा
प्रिंसिपल ने कृष्णा की तरफ इशारा करते हुए कहां जो को कुछ ही दूर खड़ा मुस्कुरा रहा था..

निखिल ने अपना सर पिट लिया प्रिंसिपल ने निखिल से गाने को कहा और दूसरी तरफ चला गया सभी लाईट डिम कर दी।
गयी बा एक फोकस था सिर्फ निखिल पर उसने हाथों में माइक पकड़ा हुआ था, उसका दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था उसने अपनी आँखे बंध कर ली.....
और गाना शुरू किया

हो चांदनी जब तक रात देता है हर कोई साथ
तुम मगर अंधेरो में, ना छोड़ना मेरा हाथ
जब कोई बात बिगड़ जाये
जब कोई मुश्किल पड जाये
तुम देना साथ मेरा ओह हम नवा

निखिल की आवाज इतनी खूबसूरत थी की सब अपना अपना  दिल थामे उसको सुन रहे थे, अचानक वो गाते गाते रुक गया उसने आँखे खोल ली सब उसकी तरफ देख रहे थे अमन
ने कहा निखिल कंटिन्यू बहुत अच्छा गा रहे हो निखिल भूल गया...

तभी भीड़ में से गाने की आवाज आयी

दिल को मेरे हुआ यकीन,
हम पहले भी मिले कहीं
सिलसिला ये सदियों का
कोई आज की बात नहीं

लाइट का फोकस आवाज की तरफ गया कृष्णा माइक हाथ में लिए हुए था सब हूटिंग करने लगे तभी कृष्णा ने निखिल की तरफ बढ़ते हुए आगे गाना शुरू किया....

ना कोई है, ना कोई था
जिंदगी में तुम्हारे सिवा
तुम देना साथ मेरा ओह हम नवा
तुम देना साथ मेरा अह्ह्ह हमनवा

उसके बाद सबने उनके साथ गाना शुरू कर दीया,, वो पल उस रात का सबसे खूबसूरत पल था निखिल भी अपना गुस्सा भूल गया पार्टी खत्म हो चुकी थी सब अपने अपने घर के लिए निकल गए.....

Comments

  1. Next part kB aaega post early

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  2. Next part kab ayega Chikku😊

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  3. Jabardast dost.. bas Kahi Kahi tha ka thi ho Gaya h...😅

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  4. What a story that salo m pehli story psnd ayi

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  5. Me aapko suggestions deta hu aap youTube Pe web series bnaye is story pe

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  6. Me aapko suggest karta hu aap youTube per web series bnalo is story ke sath bhot achi lagegi

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  9. Kayan ki zindegi"ek simple masoom ladke ki pyaar aur dard ki kahani..please read once ...i hope ye Kayan ki kahani bhi apko bahot khusi degi..
    My bloger link is here
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