मामाजी के घर आकर निखिल को अच्छा लगा लेकिन हर बार की तरह इस बार भी मामीजी उसे कटी सुनाने से बाज नहीं आयी कड़वी बतो को निगलती रहा और छुट्टियां खत्म होते ही वापस हॉस्टल आ गया........
उधर कृष्णा ने जब घर पे अपने रिजल्ट को बताया तो सब खुशी से फूले नहीं समाये पापा भी बहुत खुश हुए और कहा- हम सिर्फ तुम्हे पढ़ाई का महत्व समझाना चाहते थे इसलिए तुम्हें शहर के मे दाखिला दिलवाया पर वहा भी तुमने एक साल बर्बाद किया और मुश्किल से पास हुए बाद नए कॉलेज में तुमने दूसरे साल में तो कमाल ही कर दिया मैं बहुत खुश हुं बेटा घरवालों से विदा लेकर कृष्णा वापस शहर आ गया.....
उसे तो जल्द से जल्द निखिल से मिलना था कॉलेज आते ही उसे निखिल क्लास में दिख गया.....
कृष्णा जाकर उसकी पास वाली चेयर पर ही बैठ गया लेकिन उसकी शरारते अब भी कम नहीं हुयी थी......
लेकिन अब निखिल को उस पर गुस्सा नहीं आता था, धीरे धीरे वो उसे जानने समझने लगा था.....
अब अधिकतर वक्त दोनों का साथ ही गुजरता, साथ रहना साथ पढ़ना.....
अमन और अमित भी उन दोनों के साथ रहने लगे अमित और अमन में नजदीकियां बढ़ गयी और दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया....
अब वो दोनों क्लास: और कॉलेज को ज्यादा नजर आते थे......
प्यार में दुनिया खूबसूरत हो जाती है उस वक्त कुछ नहीं दीखता......
लेकिन रवि को कृष्णा और निखिल का साथ बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था वो बदले की आग में जल रहा था....
एक दिन कॉलेज ख़त्म होने के बाद अमन अमित के साथ फिल्म देखने चला गया.....
निखिल ने अपनी स्कूटी निकाली और जैसे ही निकलने लगी कृष्णा ने रोक लिया।
कृष्णा- लिफ्ट मिलेगी ?
निखिल - क्यों ?
कृष्णा - वो अमित कार तो डार्लिंग को लेकर गया ना तो अब घर कैसे जाऊंगा,,
निखिल - ठीक है बैठो
कृष्णा - बैठो, मैं तुम्हारे पीछे बैठूंगा, लोग क्या कहेंगे
निखिल- तो ?
कृष्णा - तुम बैठो मेरे पीछे स्कूटी मैं चलाऊंगा...
निखिल पीछे बैठ गया कृष्णा ने स्कूटी स्टार्ट की और बाहर निकल गया......
उनके जाते ही रवि पेड़ के पीछे से बाहर आया और मुस्कुराते हुए कहा - जा बेटा आज तेरी सारी हीरोगिरी निकल जाएगी.......
कहकर उसने हाथ में पकड़ा ब्रेक का वायर फेंक दिया.......
कृष्णा निखिल से बाते करता हुआ रफ्तार में स्कूटी भगा रहा था तभी उसने ब्रेक दबाया लेकिन ये क्या ब्रेक तो था ही नहीं वो घबरा गया लेकिन चुपचाप गाड़ी चलाता रहा और गाड़ी को रोकने के बारे में सोचने लगा.......
वो दोनों शहर से बाहर निकल आये निखिल ने पूछा - ये हम कहा जा रहे है, स्कूटी रोको
कृष्णा - नहीं रुकेगी इसमें में ब्रेक नहीं है।
निखिल - क्या तुम फिर से कोई शरारत कर रहे हो ना चुपचाप स्कूटी रोको....
कृष्णा - और ब्रेक नहीं है
निखिल - ब्रेक नहीं है, तो फिर गाड़ी कैसे रुकेगी ?
निखिल घबरा गया कृष्णा को कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करे स्कूटी उबड़ खाबड़ रास्तों से होती हुयी बस जा रही थी अचनाक कृष्णा की नजर सामने गयी आगे कुछ ही दूर एक खाई थी.......
स्कूटी रोकना आसान नहीं था उसने निखिल से कूद जाने को कहा लेकिन वो मना करता रहा, स्कूटी खाई के सामने थी कृष्णा ने निखिल को स्कूटी से निचे धक्का दिया......
निखिल गिर गया लेकिन तब तक स्कूटी तेज़ जा रही थी कृष्णा को कुछ समझ नहीं आ रहा था सामने खाई थी, स्कूटी का ब्रेक नहीं था उसने भगवान का नाम लिया और जैसे स्कूटी खाई के एकदम नजदीक पहुंची थी कूद गया कूदने से उसके हाथ में चोट आ गयी और वो फिर गिर गया.......
दूर से निखिल ने जब देखा तो वो दौड़ता हुआ आया वो बहुत घबरा गया खाई के पास आकर वो जोर से चिल्लाया
कृष्णा -"अरे ! यही हुं निचे देखो.....
कृष्णा एक पत्थर को पकड़ा लटका हुआ था निखिल की जान में जान आयी वो नीचे बैठ गया खाई की गहराई देख उसे चल रहा था उसने खुद को शांत किया.....
अपना हाथ कृष्णा की तरफ बढ़ाकर कहा - मेरा हाथ पकड़ कर ऊपर आ जाओ.....
"बिल्कुल नहीं कहीं तुमने मेरा हाथ छोड़ दिया तो मैं सीधा ऊपर चला जाऊंगा कृष्णा ने निचे देखते हुए कहा....
निखिल - तुम पागल हो क्या इस वक्त भी तुम्हे मजाक सूझ रहा है प्लीज़ मेरा हाथ पकड़ो और ऊपर आ जाओ कृष्णा ने निखिल का हाथ पकड़ लिया....
एक चीज जो दोनों ही नहीं देख पाये थे निखिल के हाथ पर जो पत्ती का आधा निशान था वो बाकि का कृष्णा के हाथ पर भी था जब दोनों का हाथ मिला तो वो निशान पूरा हो गया......
कृष्णा के हाथ पकड़ते ही निखिल को अपने पूरे जिस्म में सिहरन सी महसूस हुयी......
लेकिन उसने उसे नजरअंदाज कर दिया और उसे बचाने में लग गया उसने पूरी ताकत से उसे खींचना शुरू किया.....
कृष्णा भी कोशिश करने लगा लेकिन जैसे ही वो थोड़ा ऊपर आया उसका पैर फिसला और वो निचे खिसक गया जिसकी वजह से निखिल भी साथ साथ निचे आ गया अब दोनों मुसीबत में थे और बचाने वाला कोई नहीं था........
कृष्णा ने एक हाथ से निखिल को पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से बचने की कोशिश कर रहा था......
उसने पूरी ताकत से निखिल को ऊपर की तरफ खींचा और गले लगाकर कहा - मुझे कसकर पकड़ लो निखिल काफी डरा हुआ था उसने कृष्णा को कसकर पकड़ लिया दोनों एक दूसरे के बहुत करीब थे
निखिल ने निचे देखा और डरकर अपनी आँखें बंद कर ली
निखिल को मरते देख कृष्णा ने कहा - डरो मत, मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा......
कृष्णा ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगा लेकिन हाथ में लगी चोट की वजह से उसे बहुत तकलीफ हो रही थी, वो बार बार कोशिश करता रहा और आखिर में वो कामयाब हो गया और ऊपर आ गया.....
निखिल अब भी डरा हुया था कृष्णा ने उसके कंधे पर हाथ रखके पूछा- तुम ठीक हो निखिल कृष्णा के गले लग गया और रोते हुए कहने लगा हमे माफ़ कर दो हमे नहीं पता था की स्कूटी में ब्रेक नहीं है आज तुम्हें कुछ हो जाता तो हम खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाते पाते......
"निखिल कुछ नहीं हुआ सब ठीक है शांत हो जाओ - कृष्णा ने उसे चुप कराते हुए कहा
निखिल ने कुछ नहीं कहा वो कृष्णा के गले लगा रहा तो कृष्णा ने कहा - जगर तुम ऐसे ही गले लगो तो मैं यहाँ से रोज कूदने को तैयार हूँ......
निखिल दूर हो गया उसकी नजर कृष्णा के हाथ पर गयी उसके हाथ से खून निकल रहा था....
दोनों वहा से चलकर सड़क पर आये और वहा से हॉस्पिटल पहुंचे उसकी मरहम पट्टी करने के बाद डॉक्टर रूम से बाहर चला गया निखिल ने फोन करके अमित को भी आने के लिए कह दिया कृष्णा बेड पर बैठा निखिल को ही देख रहा था उसके पास आया और अपनी नजरे झुकाकर कहा - हमे माफ़ कर दीजिये, कृष्णा निखिल को परेशान करना चाहता था इसलिए उसने जानबूझकर दर्द का नाटक करते हुए कहा हां ये अच्छा है पहले किसी का हाथ तोड़ दो, फिर सॉरी कहके बच जाओ, लेकिन मैं माफ़ करने वाला नहीं हूँ
निखिल - प्लीज़ कृष्णा हमे सच में नहीं पता था
कृष्णा - Sorry का मैं क्या करूं
निखिल - तो मैं क्या करू तुम ही बताओ....?
निखिल ने आँखे नम करते हुए कहा पहले हॉस्पिटल का बिल भरना बाकी बाद में बताता हूँ......
कृष्णा आ गया निखिल ने बिल्स पे किये और दवाईया लेने मेडिकल स्टोर पर चला गया निखिल परेशान सा वहा खड़ा दवाईयों के बारे में समझ रहा था और दूर खड़ा कृष्णा उसे प्यार से देख रहा था.....
निखिल दवाई लेकर आया तब तक अमित और अमन भी आ चुके थे.....
चारो हॉस्पिटल से बाहर आये और गाड़ी में बैठ गए निखिल कृष्णा के साथ पीछे बैठा और अमन आगे अमित के साथ.....
गाड़ी स्टार्ट की और घर की तरफ बढ़ा दी.....
रास्ते भर कृष्णा निखिल को परेशान करता रहा और फिर कहा - "जब तक मैं ठीक नहीं हो जाता तुम्हे मेरा ध्यान रखना पड़ेगा मेरे उठने से लेकर सोने तक"
पर हम हर वक्त तुम्हारे साथ कैसे रह सकते है - निखिल ने परेशान होते हुए कहा....
अमित - निखिल को परेशान करना बंद कर.....
फिर उसने निखिल की तरफ देखते हुए कहा - निखिल में रख लूंगा इसका ध्यान.....
अमित की बात सुनकर कृष्णा ने कहा- ठीक है लेकिन कॉलेज में मेरा ध्यान इसे ही रहना पड़ेगा..
निखिल अपने कमरे में आ गया फ्रेश होने के बाद वो बिस्तर लेट गया उसकी आँखों के आगे अब भी बो हादसा घूम रहा था......
निखिल को सोच में डूबा था अमन कब कमरे में आया उसे पता ही नहीं चला.....
अमन ने उसके पास बैठते हुए कहा - क्या हुआ परेशान क्यों है ?
निखिल - हमे समझ नहीं आ रहा की स्कूटी का ब्रेक कैसे फेल हुआ....
अमन - निखिल तू जितना उसके बारे में सोचेगा उतना ही परेशान होगा तू आराम कर
निखिल - लेकिन कृष्णा ? हमारी वजह से उसे इतनी चोट ? "
अमन- वो ठीक है, बस तुम्हें परेशान करने के लिए नौटंकी कर रहा था अमन ने उसकी बात काटते हुए कहा......
रात का खाना खाकर बैठे सो गया......
उसे नींद आ गयी....
सुबह वो नहीं उठा तो अमन उसके पास आया और उससे कहा - क्या हुआ ?
आज तेरे सपने वाला अलार्म नहीं बजा.....
निखिल ने अपनी आँखे मसलते हुए कहा - सुबह हो गयी.....
अमन - हां और सर तुम कॉलेज के लिए लेट भी हो गये हो.....
अमन ने उठते हुए कहा तो निखिल ने उसका हाथ पकड़ कर उसे वापस बैठा लिया और कहा -अमन आज एक अजीब बात हुयी हमारे साथ बचपन से जो सपना हमे रोज आता या वो आज नहीं आया ये सब क्या हो रहा है.....
अमन - तुम रोज वो सपना देखकर डर जाते हो पर मैंने कभी तुमसे उस सपने के बारे में नहीं पूछा और आज अचानक वो सपना आना बंद हो गया कही ना कही वो सपना तुम्हारी जिंदगी से जुड़ा है......
निखिल को परेशान देख अमन ने पूछा-वैसे तुम्हें क्या दिखता है उस सपने में....?
निखिल - दूर दूर तक समंदर उसके बिच में कोई नाव जिसपर तीन लोग सवार होते है....
अमन - चेहरे दिखते है...?
निखिल - नहीं, और फिर उनमें से एक दूसरे वाले को पानी में गिरा देता है और उनके साथ खड़ी लड़की मणि मणि चिल्लाती है.....
अमन - तुम्हे कैसे पता वो कोई लड़की है....?
निखिल - क्योंकि वह आवाज हम साफ सुन सकते है.....
अमन - परेशान मत हो वो सिर्फ एक सपना है जो अब तुम्हे आना बंद हो गया है.....
मैं कॉलेज जा रहा हुं तू भी आ जाना ठीक है....
निखिल बाथरूम की तरफ चला गया.....
तैयार होकर वो कॉलेज पहुंचा कृष्णा उसे गेट पर ही मिल गया उसके एक हाथ में प्लास्टर बंधा था निखिल आज सीधा उसके पास ही आया उसके हाथ से किताबे लेकर उसे क्लास को चलने को कहा दोनों क्लास में गए सब निखिल को देख रहे थे उसे क्या हो गया जो वो कृष्णा के साथ है, क्योकि अब तक जिन्होंने दोनों को साथ देखा सिर्फ लड़ते हुए ही देखा था निखिल कृष्णा जैसे जैसे करता जा रहा था, क्लास में उसके साथ रहना, लायब्रेरी मं उसके साथ बैठके नोट्स बनाना,सही है छोटी छोटी जरूरतों का ख्याल रख रहा था.....
निखिल नोट्स बनाता और कृष्णा बैठा उसे प्यार से देखता रहता.....
क्लास खत्म होते ही कृष्णा ने निखिल से कहा उसे भूख लगी है और उसे लेकर कैंटीन चला गया......
निखिल अपने साथ साथ अमन को भी ले गया तीनो जाकर बैठ गए कृष्णा ने खाना ऑर्डर किया और बैठकर निखिल को देखने लगा......
निखिल ने जब उसकी तरफ देखा तो उसने कहा - ध्यान रखते रखते तुम थक तो नही जाते न निखिल ने मुस्कुराते हुए ना में गर्दन हिला दी पर अंदर ही अंदर उसे गुस्सा आ रहा था न वो उसे लिफ्ट देता और न ही उसे ये सब झेलना पड़ता......
निखिल ये सब सोच ही रही थी कि ऑर्डर किया हुआ खाना आ गया......
निखिल ने खाने की तरफ इशारा करते हुए कहा - खाओ "कैसे खाऊ दिखता नहीं हाथ फ्रेक्चर है - कृष्णा ने ड्रामा करते हुए कहा....
"दूसरा हाथ तो सही है ना - निखिल ने उसे घूरते हुए कहा दूसरे हाथ में भी हल्का सा दर्द है- उसने मुंह बनाते हुए कहा....
निखिल - है अमन खिला देगा....
निखिल ने अमन की तरफ देखा तो उसने कहा - हां हां मैं खिला देता हुं......
कृष्ण ने अपनी सोच का उल्टा होते देख अमन से कहा - डार्लिंग तुझे पता है अमित कहा है, वो सामने गार्डन में बैठा लड़कियों के हाथ देख रहा है क्या....?
उसकी इतनी हिम्मत अभी बताता हूँ उसे - कहकर स्थान उठकर अमन चला गया..... स
अमन नहीं समझा लेकिन निखिल कृष्णा की चाल समझ गया पर चुप रहा.....
"भूख लगी है" - कृष्णा ने कहा निखिल ने एक निवाला तोड़कर कृष्णा के मुंह की तरफ बढ़ा दिया कृष्णा ने मुस्कुराकर खा लिया निखिल का मन तो किया खाने के साथ उसे जहर भी दे दे......
लेकिन वो चुपचाप उसे खिलाता रहा....
खाने के बाद कृष्णा और निखिल कैंटीन से बाहर आ गए कुछ क्लास के बाद निखिल हॉस्टल चला गया और कृष्णा अमित के साथ घर आ गया....
पूरे एक महीने तक निखिल कृष्णा के लिए ये सब करता रहा....
धीरे धीरे कृष्णा लिए उसका गुस्सा भी कम होने लगा अमित अमन भी उन लोगों में शामिल हो जाते....
कृष्णा के साथ रहकर हसना सिख गया था ..
एक दिन किसी बात पर हंसने लगा तो हंसता ही गया....
अमन अमित को कुछ समझ समझ नही आया लेकिन कृष्णा सब समझ रहा था...
कृष्णा हंसता हुआ निखिल को देख रहा था तभी अमन उसके पास आया और कहा - थैक्यू कृष्णा.....
कृष्णा थैंक्यू इसलिए....?
अमन - जो किया उसके लिए निखिल को बदलने के लिए कितना खुश दिख रहा है वो
थैक्यू सो मच
कृष्णा- अरे डार्लिंग इसलिए तो उसे इतना परेशान किया ताकि वो अपनी सारी परेशानी भूलकर मुझपे ध्यान दें.....
अमन- तुम उस से प्यार करते हो ना....
कृष्णा ने कुछ सोचते हुए कहा -मम्म, मुझे शर्म आती है। बाद में बताऊंगा कहकर वो वहा से चला गया....
अमन वही खड़ा मन में कहने लगा - तुम बताओ या ना बताओ तुम्हारी आँखों में साफ़ दिखता है...
कृष्णा अब बिल्कुल ठीक हो चूका था पर इन सब मे एक और था जो अभी भी अपने दिल में निखिल और कृष्णा के लिए नफरत पाले हुए था वो था रवि ।
दिन, हफ्ते , महीने निकल गए निखिल और कृष्णा में नौक झोंक अब भी होती थी लेकिन अब दोनों अच्छे दोस्त थे.....
अमित और अमन का प्यार परवान चढ़ा और एग्जाम के परवान और एग्जाम बाद दोनों ने शादी करने का मन बना लिया था...
एग्जाम्स में १ महीना ही बाकि था निखिल ने मन पढ़ाई में लगा लिया....
एग्जाम से पहले कॉलेज की तरफ से फेरवेल पार्टी का नोटिस बोर्ड पर चिपका दिया गया था बहुत एक्साइटेड थे,
ये तीन साल कैसे निकल गए निखिल का पता ही नहीं चला.....
फेरवेल वाली रात तैयार होकर अमन के साथ कॉलेज पहुंचा....
कृष्णा तो बस उसे देखते ही रह गया कृष्णा जब मुंह फाडे निखिल को देख रहा था तो अमन उसके पास आया और कहा - तुम यहाँ मुंह फाड़ते रह जाओगे और तुम्हारी राधा को कोई और ले जायेगा...
कृष्णा - इतनी हिम्मत है क्या किसी में निखिल सिर्फ मेरा है.....
अमन - तो उसे जाकर कहते क्यों नहीं
कृष्णा - डर लगता है
अमन - फट्टू कही के, उस से प्यार सकते हो, यहाँ खड़े खड़े उसे देख सकते हो, बड़ी बड़ी बातें कर सकते हो लेकिन उसे बोल नहीं सकते कि उस से प्यार करते हो
कृष्णा - आसान है क्या बोल दूंगा एक दिन अमन - उसके बच्चो का मामा बनने के बाद कृष्णा - नहीं, बस आज रात ये पार्टी खत्म होने के बाद मैं उसे अपने दिल की सारी बात बता दूंगा
अमन मुस्कुरा दिया और कहा - पीछे क्या छुपाया है...?
कृष्णा - कुछ नहीं अमन ने उसका हाथ खींचते हुए कहा - कृष्णा हाथ आगे ले आया और शरमाते हुए कहा - गुलाब है....
तो इतना शरमा क्यों रहे हो वैसे भी ये सब तुम पर सूट नहीं करता - अमन ने उसकी टॉग खींचते हुए कहा
कृष्णा - क्या यार डालिग फील तो करने दो अमन- अच्छा... वो देखो निखिल इधर ही आ रहा है Best of luck...
निखिल जैसे ही उन दोनों के पास आया कृष्णा ने हाथ में पकड़ा गुलाब फिर से पीछे छुपा लिया पर निखिल ने उसे देख लिया - क्या छुपा रहे हो....?
कृष्णा- ने मुस्कुराते हुए पूछा कककक कुछ नहीं पहली बार उसके सामने हकलाया था... निखिल-दिखाओ...?
कृष्णा ने आगे हाथ आगे कर दिया उसके हाथ मे गुलाब देखकर
निखिल ने पूछा - ये मेरे लिए है कृष्णा घबरा गया और कहा - नहीं नहीं ये तो में निरंजन सर के लिए लाया था और निखिल के पीछे खड़े निरंजन सर की तरफ बढ़ गया और गुलाब उनकी तरफ बढ़ा दिया.....
निरंजन सर ने हिचकिचाते हुए उस से गुलाब लेकर और धीरे से उसके कान में कहा - मैं उस टाइप का नहीं है बेटा मेरी शादी हो चुकी है मैं भी वैसा नहीं हूं
सॉरी सर - कहकर कृष्णा वहा से चल गया....
कृष्णा को देखकर निखिल ने अमन से कहा - इसे क्या हो गया ये आज इतना क्यों शरमा रहा है
अमन - पता नहीं....
कुछ देर बाद सभी डांस फ्लोर पर थे .... निखिल और अमन भी आ गये तभी अनाउंसमेंट हुयी सभी लड़के अपने चेहरे पर मास्क लगा ले और फिर हर अपना अपना डांस पार्टनर चुनेंगे फ्लोर पर कुछ लड़के जिनको डांस करना था वो मास्क लगाकर गए.....
लड़कियां अपना अपना पार्टनर चुनने लगी जब निखिल की बारी आयी तो उसने मना कर दिया खीचकर उसे मास्क लगे लड़के के सामने खड़ा कर दिया अंधेरे में कुछ नजर नहीं आ रहा था सिवाय मास्क के निखिल ने एक हाथ को टच करता गया जैसे ही उसने कृष्णा के हाथ को छुआ उसके जिस्म में एक बार फिर वही सिहरन सी दौड़ गयी कृष्णा ने मास्क हटा दिया.....
सभी कप्लस फ्लोर पर आकर डांस करने लगे.....
कृष्णा आज बहुत सीरियस था न वो रोजाना की जाक था न निखिल को छेड़ रहा था, बस निखिल की आँखों में देखे जा रहा था, उसने एक हाथ निखिल की कमर पर रखा और उसे अपने करीब खींच लिया निखिल चुपचाप बस उसकी आँखों में देखे जा रहा था दोनों एक दूसरे के बहुत पास थे ऐसे लग रहा था जैसे बेखबर दोनों एक दूसरे में खो गए....
उन्हें देख बाकी लोग रुक गए और उन्हें डांस करते हुए देखने लगे....
निरंजन सर चौंक गए ये क्या हो रहा है....
दोनों का डांस इतना रोमांटिक था की हर कोई बिना पलके झपकाये बस उन्हें ही देख रहा दोनों एक दूसरे में इतना डूब चुके थे की गाना ख़त्म होने के बाद भी उन्हें पता नहीं चला...
निरंजन सर उन दोनों के पास आये और कहा - रोमियो जूलियट गाना खत्म हो गया है...
दोनों एक दूसरे से नजरे बचाते हुए दूसरी तरफ चले गए.....
पार्टी खत्म हो चुकी थी सभी अपने अपने घरों की तरफ निकल गये रात के 10 बज रहे थे अमित ने अमन और निखिल को घर तक छोड़ने की बात कही सभी गाड़ी में आकर बैठ गए.....
अमन जानबूझकर अमित के साथ आगे बैठ गया ताकि निखिल और कृष्णा को बात करने का मौका मिल सके.....
रास्ते में अमित ने कहा - अभी तो सिर्फ 10 बजे है क्यों ना हम सभी नहर देखने चले....
अमन ने निखिल से पूछा तो सबने हाँ कर दी, अमित ने गाड़ी नहर तोड़ दी चांदनी रात थी चाँद अपने पूरे आकर में नहर के उस पार था नजारा इतना खूबसूरत था की सबकी नजर नहर पर जम गयी.....
अमन ने निखिल और कृष्णा से पुल पर जाने को कहा अमित जाने लगा तो उसने अमित को रोक लिया.....
अमित - चलो ना हम भी चलते है
अमन - आज कृष्णा निखिल से अपने दिल की बात कहने वाला है, इसलिए मैंने जानबूझकर उनको भेजा है ताकि उन दोनों को थोड़ा वक्त मिल सके..
अमित - ठीक है, पर इस तरह गाड़ी में तो नहीं बैठ सकते न चलो न बाहर दोनों गाड़ी से बाहर आते है अमित.....
कूष्णा कहता है - तुम दोनों देखो हम अभी आते हैं...
दोनों सामने की दुकान की तरफ बढ़ जाते है, निखिल और कृष्णा चुपचाप खड़े रहते है कुछ देर बाद निखिल कृष्णा से पूछता है - क्या हुआ....?
आज बड़े चुपचुप हो तुम कृष्णा- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है....
निखिल - जब तुम परेशान करते थे तब गुस्सा आता था और अब जब चुप हो तब भी अच्छा नहीं लग रहा कृष्णा कहना तो बहुत कुछ चाहता था लेकिन शब्दों ने उसका साथ नहीं दिया.....
वो सिर्फ मुस्कुरा दिया दोनों पुल पर खड़े नहर में झिलमिलाते चाँद को देख रहे थे......
पर कृष्णा कभी चाँद को तो कभी निखिल को देख रहा था..
दूर खड़े अमित और अमन उन्हें देख रहे थे अमन ने अमित से झुंझलाकर कहा-ये कृष्णा निखिल से कुछ बोल क्यों नहीं रहा......
अमित - पता नहीं इतना शरमाते हुए तो मैंने इस कभी नहीं देखा.....
अमन ने एक कंकड़ उठाकर कृष्णा की तरफ फेंका कृष्णा ने पलटकर देखा तो अमन ने आँखे दिखाई और बोलने का इशारा किया कृष्णा ने हाँ में गर्दन हिलायी और निखिल की तरफ मुड़कर कहा - निखिल मुझे तुमसे कुछ कहना है...
हाँ कृष्णा कहो - निखिल ने कहा
कृष्णा- वो.......मै कहना चाह रहा था... वो
निखिल - हां कहो क्या...?
कृष्णा - तुमने खाना खा लिया निखिल ने मुस्कुराते हुए कहा - अभी थोड़ी देर पहले खाकर ही तो आये थे सब साथ में.....
कृष्णा - हां खाया था......
मुझे कुछ और कहना था
निखिल - अच्छा कहो.....
कृष्णा- वो मैं तुमसे ये कहना चाहता था की वो.......मं.......हाँ हवा कितनी अच्छी चल रही है। निखिल हसने लगा ये बात कहने के लिए तुम्हे इतना टाइम लग गया
हां मौसम अच्छा है लगता है कही दूर बारिश हुयी है - कहकर वो मुस्कुराने लगा कृष्णा को अंदर ही अंदर खुद पर गुस्सा आ रहा था वो इतनी छोटी सी बात निखिल को नहीं बोल पा रहा था......
कृष्णा से कुछ ही दूर खड़े अमित ने अमन से कहा- मुझे नहीं लगता इस जन्म में ये बोल पायेगा कृष्णा को उलझन में देख
निखिल ने कहा - कुछ और भी कहना है तुम्हें
कहते कहते फिर अटक गया उसे अपनी हालत पे रोना आ गया
निखिल ने उसे पूछा- क्या न...?
कृष्णा - वो में ये कह रहा था की रात बहुत हो गयी है, तुम्हे हॉस्टल जाना होगा ना ...
निखिल ने हाथ में पहनी घड़ी में देखते हुए कहा - हाँ ११ बज रहे है अब चलना चाहिए चलो - कहकर वो गाड़ी की तरफ बढ़ गया.....
कृष्णा वही खड़ा रह गया अमन और अमित कृष्णा के पास आये तो अमन ने उसकी पीठ पर मारते हुए कहा - तुमसे एक छोटी सी बात नहीं बोली गयी "डार्लिंग इतना आसान भी नहीं है, जब तक मैं उसके दिल की बात नहीं जान लेता उसे कैसे कह सकता हु की मैं उस से....... कृष्णा की बात अधूरी छोड़ दी
अमन - वो जा रहा है, मगर उसने पलटकर देखा तो मतलब उसे भी प्यार है
कृष्णा - क्या तू फालतू बातें कर रहा है ये 1990 का आईडिया है जो सिर्फ फिल्मों मे होता है.....
अमन - तो तुम दोनों की कहानी कौनसी फिल्म से कम है में तीन तक गिनती तुझे अपने मन में उसका नाम बोलना है अगर वह पलटा तो मामला साफ है....
कृष्णा कुछ कहता उस से पहले ही अमन ने गिनना शुरू कर दिया
एक..........
दो....... तीन......
कृष्णा ने अपनी आँखे बंद करके दिल में कहां - निखिल निखिल पलटा
निखिल ने सबसे चलने को कहा
सभी आकर गाड़ी में बैठ गए अमन और निखिल के हॉस्टल छोड़कर अमित और कृष्णा घर आ गए...
निखिल और अमन जब कॉलेज पहुंचे तो हर कोई निखिल को देख था.....
निखिल को समझ नहीं आया निखिल पार्किंग से निकलकर अंदर जाने को था तो रास्ते में रवि और उसके दोस्त मिल गए निखिल को देखते ही सब जोर जोर से गाने लगे...
"आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर जबान पर वैदेही ने जब उनकी तरफ देखा तो वो जोर जोर से हसने लगे...."
निखिल आगे बढ़ गया पर हर किसी की नजर निखिल पर थी,, निखिल चलकर कॉलेज के नोटिस बोर्ड ओर बढ़ी वहा बहुत भीड़ इकट्ठा थी निखिल सबको साइड करके आगे गया जब उसने नोटिस बोर्ड देखा तो उसकी आँखे भर आयी
बोर्ड पर लिखा था "निखिल I Love you व" और उसके नीचे निखिल और कृष्णा की रोमांटिक तस्वीर थी....
भीड़ से निकलकर निखिल बाहर आ गया....
Bhai iska next part nhi aaega kya
ReplyDeleteVery nice darling
ReplyDeleteNext part
ReplyDeleteNext 7 part
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