निखिल की प्रेम कहानी (Episode 4)

उसकी आँखें आंसुओं से भर आयी, पहली बार वो सबके सामने हंसी का पात्र बना हुया था अमन ने जाकर नोटिस बोर्ड देखा तो उसे भी कृष्णा पर गुस्सा आया वो निखिल के पास आ गया तभी सामने से कृष्णा आता दिखाई दिया..... 

निखिल उसके पास गया कृष्णा जैसे ही उसके पास आया निखिल ने सबके सामने खींचकर उसे एक थप्पड़ मारा अमन ने निखिल से ये उम्मीद नहीं की थी लेकिन गुस्सा उसे भी आ रहा था........ 

कृष्णा कुछ कहता उस से पहले निखिल ने कहा- तुम समझते क्या हो खुद को ? तुम्हारे जो जी में आएगा करोगे  एक लड़के का पोस्टर बनाकर बोर्ड पर लगाते हुए तुम्हें शर्म नहीं आयी तुमसे थोड़ा हस बोल क्या लिया तुमने हमारा तमाशा ही बना दिया तुमने परेशान किया हमने फिर भी कुछ नहीं कहा हमेशा तुम्हारी हरकतों को बर्दाश्त करते रहे हम पर आज जो तुमने किया है उसके लिए हम तुम्हे कभी माफ नहीं करेंगे.......

कृष्णा - निखिल

निखिल - मत लो हमारा हमारी गलती थी जो हमने तुम्हे अपना दोस्त समझा पर इन सबका तुम ये मतलब निकलोगे हम नहीं जानते थे कृष्णा आज के बाद हमारे सामने भी मत आना........

निखिल वहां से एग्जाम हॉल की तरफ बढ़ गया ,, कृष्णा अमन के पास आया 

अमन ने उससे पूछा - कृष्णा क्या ये सब तुमने किया है कृष्णा ने कुछ नहीं कहा बस अमन की तरफ देखकर ना में गर्दन हिला दी 

अमन ने देखा आज पहली बार उसकी आाँखे नम थी अमन को उसकी आँखों में सच्चाई साफ नजर आ रही थी 

उसने कृष्णा का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा - मुझे तुम पर भरोसा है अभी तुम पेपर दो, 

मैं निखिल को समझाता हुं कॉलेज के बाहर मिलना कहकर अमन चला गया...... 

रवि और उसके दोस्त खड़े खड़े हंस रहे थे कृष्णा समझ गया की ये सब रवि का किया धरा है पर इस वक्त वो किसी तरह का ड्रामा नहीं चाहता था वो क्लास में चला गया..... ‌

पेपर करने के बाद कॉलेज के बाहर अमन और निखिल आ गये लेकिन निखिल बिना कृष्णा की तरफ देखे आगे बढ़ गया कृष्णा उसके पीछे आया लेकिन तब तक निखिल और अमन ऑटो रुकवाकर उसमे बैठ गया........

कृष्णा ने ऑटो रुकवाया और कहा - निखिल एक बार मेरी बात तो सुनो निखिल ने अमन की तरफ देखकर कहा - अमन इनसे कह दो मुझे कोई बात नहीं सुननी है,..... 

"चलो भैया" - निखिल ने फिर ऑटो वाले से कहा ..... 

ऑटो चल पड़ा कृष्णा उसके साथ साथ भागता हुआ कहता रहा - निखिल मेरी बात तो सुनो.......

अमन - निखिल एक बार सुन तो ले वो क्या कह रहा है निखिल ने गुस्सा में कहा - हमे कुछ नहीं सुनना अमन ने आज पहली बार निखिल को इतने गुस्से में देखा था कृष्णा ऑटो के साथ साथ भागता रहा पर निखिल ने उसकी नहीं सुना.......

भागते भागते कृष्णा उनके साथ हॉस्टल तक आ गया लेकिन गार्ड ने उसे उनके साथ अंदर जाने नहीं दिया वो बाहर खड़ा हो गया और चिल्लाकर कहा 

"निखिल जब तक तुम मेरी बात नहीं सुन लेता, तब तक मैं यहाँ से नहीं जाऊँगा" 

वो जाकर बिलकुल निखिल के कमरे की खिड़की के सामने खड़ा हो गया.. 

लेकिन खिड़की बंद थी। कमरे में आकर निखिल सीधा बाथरूम में चला गया और रोने लगा.......

कृष्णा इस तरह सबके सामने उसका मजाक बनाएगा अमन भी बहुत उदास हो गया उसने कभी निखिल को इस तरह नहीं देखा था 

उसने निखिल से दरवाजा खोलने को कहा लेकिन वो रोता रहा.......

कुछ घंटो बाद वो निकलकर बाहर आया रोने की वजह से उसकी आँखे लाल हो चुकी थी उसे परेशान देख अमन ने उस से बात करना ठीक नहीं समझा उसे बैठने को बोलकर वो उसके लिए कॉफ़ी लेने चला गया..... 

कमरे से बाहर आया तो देखा बारिश हो रही थी, उसे कृष्णा की याद आयी वो दौड़कर बालकनी में गया कृष्णा अब भी वही खड़ा था.......

 अमन दौड़ते हुए कमरे में गया उसने निखिल से कहा - निखिल बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है, प्लीज़ एक बार सुन ले कृष्णा क्या कहना चाहता है वो अब भी वही खड़ा है- उसे कुछ हो गया तो तू खुद को कभी माफ़ नहीं कर पायेगा

निखिल ने गुस्से में कहा - हमें उस से कोई मतलब नहीं है, वो क्या लगता है हमारा जो हम उसके बारे में सोचे , जब उसने हमे बेइज्जत करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा तो हम क्यों सुने अब उसकी कोई बात वो जिए या मरे हमे कोई फर्क नहीं पड़ता ... 

"तड़ाक" - अमन ने खींचकर एक थप्पड़ निखिल के गाल पर रख दिया......

बात का सम्मान रख सके नौकर चाकर उसके आगे पीछे घूमते है , बंगला आलिशान गाड़ियों की कोई कमी नहीं है उसके पास लेकिन अपनी हैसियत का उसने कभी हम लोगो के सामने कभी बखान नहीं किया हमारे बिच वो हम जैसा ही बनकर रहा, वो सिर्फ उस कॉलेज में तुम्हारे लिए रुका था ताकि तुम्हारे चेहरे पर हंसी ला सके , तुम्हे परेशान करता था ताकि तुम अपनी सारी परेशानिया भूलकर उसपर ध्यान दो.......

उस दिन तुम्हारे जाने के बाद उसी ने रवि और उसके दोस्तों को पिटा था,, तुम्हारी जान बचायी ,, तुम्हारी दोस्ती पाने के लिए उसने दिन रात मेहनत करके तुम्हारी शर्त भी पूरी की अमन बोलता गया "वो तुम्हे परेशान जरूर करता था, पर उसकी आँखों में मैंने हमेशा तुम्हारे लिए सम्मान और प्यार देखा है.......

वो एक राजपूत खानदान से है वो ऐसी हरकत कभी नहीं करेगा जी से तुम्हारा दिल दुखे या तुम पर कोई आंच आये वो पोस्टर उसने नहीं लगाया निखिल ये सब उस रवि ने किया है, अफ़सोस तो सिर्फ इस बात का है कि तुम कृष्णा के इतना करीब होकर भी उसे समझ नहीं पाये.......,, 

सच सुनकर निखिल को एक झटका सा लगा, उसके सामने वो हर पल एक तस्वीर की तरह उभरने लगा जो उसने कृष्णा के साथ गुजारे थे...... 

वो दौड़ता हुया निचे गया और हॉस्टल से बाहर आ गया तेज बारिश में कृष्णा अब भी खड़ा था वो उसके सामने जाकर खड़ा हो गया और उसे गले लगाते हुए कहा हमे माफ कर दो कृष्णा, हमसे बहुत बड़ी भूल हो गयी, हम तुम्हे समझ नहीं पाये अनजाने में हमने तुम्हारा बहुत दिल दुखाया है निखिल रोने लगा.....

सब देख रहे थे वार्डन भी.....

वार्डन नहीं चाहती कि तुम यहाँ रहो इस से हमारे हॉस्टल की बदनामी हो निखिल खामोशी से सब सुनता रहा..... "मैं कल सुबह यहाँ से चला जाउंगा" - निखिल ने कहा और वहां से चला गया कमरे में आकर वो अपना सामान पैक करने लगा......

 अमन भी उसके पीछे पीछे कमरे में चला आया उसने निखिल से कहा - तुम्हे कही जाने की जरुरत नहीं है, मैं अपने पापा से बोलकर वार्डन से कहकर तुम्हारा यहाँ रुकने का इंतजाम करवा दूंगा 

निखिल ने अमन का हाथ पकड़ते हुए कहा - नहीं अमन, अब हम यहाँ नहीं रुक सकते  तुमने सुना ना वार्डन ने क्या कहा अब अगर यहाँ रुके भी तो हमारा आत्मसम्मान हमे नहीं रुकने देगा........

अमन - पर तुम कहां जाओगे ? 

निखिल - तुम हमारी चिंता मत करो, हम अपने घर चले जायेंगे ... 

अमन को बहुत बुरा लग रहा था पर वो क्या करे. 

निखिल ने अपना अधिकतर सामान अमन के लिए छोड़ दिया...... 

उस रात किसी को नींद नहीं आई ना अमन को ना निखिल को और ना कृष्णा वो सारी रात निखिल के बारे में ही सोचता रहा ...

अगले दिन निखिल अपना सामान लेकर हॉस्टल से निकल गया ... 

अमन साथ आना चाहता था लेकिन निखिल ने उसे मना कर दिया अमन उसके गले लग रो पड़ा और उसे ना जाने की विनती की लेकिन निखिल नहीं माना और चला गया.......

अमन अपने कमरे में आकर रोने लगा, अचानक उसे कृष्णा की याद आयी उसने उसे फोन किया और सारी बाते बता दी कुछ ही देर में कृष्णा हॉस्टल पहुंच गया अमन उसे निचे ही मिल गया कृष्णा गुस्से में वार्डन के ऑफिस गया और उस से कहा - "इस तरह निखिल पर गलत इल्जाम लगाकर उसे इस हॉस्टल से निकालने की आपकी हिम्मत कैसे हुयी 

वार्डन - तुम होते कौन हो मुझसे ये सब पूछने वाले ? कृष्णा - वो मैं आपको जरूर बताऊंगा, पर निखिल को यहाँ से निकालने से पहले आपने एक बार भी नहीं सोचा की वो कहा जाएगा......

वार्डन - तुम्हे अगर उसकी इतनी ही परवाह है तो खुद क्यों नहीं ले जाते उसे अपने घर 

कृष्णा - वो तो में ले ही जाऊंगा ,, 

वार्डन - हाँ ले जाईये अच्छा है वो खुद चला गया वरना मैं उसे निकाल देती, सरेआम लड़को को गले लगाता है उसमें संस्कार नाम की कोई चीज ही नहीं है "बस" कृष्णा ने अपना हाथ हवा में उठाते हुए कहा - "अगर एक लफ्ज और उसके बारे में कहा तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा.. 

कृष्णा का गुस्सा देख वार्डन सहम गयी और चुप हो गयी......

कृष्णा ने अपना हाथ निचे करते हुए कहा - अरे जानती क्या है आप उसके बारे में, जन्म उसने भले ब्राह्मण परिवार में लिया हो पर संस्कार उसमे सब राजपूत खानदान के है, उसमे वो सब संस्कार है जो एक राजपूती लड़के में होते है , रही बात उसे अपने साथ रखने की तो आज मैं आज कसम खाता हु वो लड़का राणावत खानदान मे ही आयेगा.. 

राणावत नाम सुनकर वार्डन सकते में आ गयी उसने डरते हुए धीरे से पूछा- आप कौन हो? 

कृष्णा ने मुस्कुराते हुए कहा - कृष्णा सिंह राणावत महेंद्र सिंह राणावत का बेटा, जिन्होंने ये हॉस्टल को आपको दान दिया 

लेकिन आपने राणावत खानदान की होने वाले की बेइज्जत किया ये मैं कभी नहीं भूल सकता.. 

वार्डन कुछ नहीं बोल पायी कृष्णा ऑफिस से बाहर आ गया... 

और जाने लगा तो अमन ने कहा कृष्णा मैं भी चलता हुं दोनों हॉस्टल से बाहर आ गये कृष्णा ने अमन से गाड़ी में बैठने को कहा और खुद भी बैठ गया... 

" वो कहा जा रहा है उसने कुछ बताया- कृष्णा 

अमन - उसके मामाजी के अलावा उसका कोई नहीं है वो वही जाएगा सीतापुर, और अभी दो स्टेशन पर होगा कृष्णा ने गाड़ी स्टेशन की तरफ दौड़ा दी 

कृष्णा को परेशान देख अमन ने कहा- कृष्णा तुमने निखिल से कहा क्यों नहीं की तुम उस से प्यार करते हो ... 

कृष्णा - अमन , प्यार तो वो भी करता है पर वो सिर्फ मुझे अपना दोस्त समझता है, मैंने उसकी आँखों में अपने लिए प्यार नहीं देखा, जब तक मैं उसे ये अहसास ना दिला दू की तब तक मैं उसे कुछ नहीं कहूंगा, और तुम भी उसे कुछ नहीं बताओगे

 अमन ने हां में गर्दन हिला दी.. 

कृष्णा और अमन स्टेशन पहुंचे निखिल उन्हें वहा मिल गया वो ट्रेन में था और ट्रेन चल पड़ी कृष्णा ने उसे आवाज लगायी तो वो दरवाजे तक आ गया लेकिन ट्रेन धीरे धीरे चल पड़ी.......

कृष्णा भाग के आया और निखिल से कूदने को कहा लेकिन निखिल ने मना कर दिया कृष्णा ने चिल्लाकर कहा - अरे न तुम सिमरन हो ना मैं राज जो भाग के ट्रेन पकड़ लूंगा जल्दी कूद निखिल परेशान सा खड़ा रहा...... 

तभी कृष्णा ने भागते हुए उसका हाथ पकड़ उसे नीचे खींच लिया ... 

ट्रेन चली गयी निखिल अब भी कृष्णा की बांहो में था खुद को उस से दूर करते हुए कहा - तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो.......? 

कृष्णा - तुम्हें लेने आये है निखिल कुछ बोलता उस से पहले अमन ने कहा - कृष्णा को सब पता है........

तीनो स्टेशन से बाहर आ जाते है निखिल - तुम दोनों बेवजह परेशान हो रहे हो हम मामाजी के घर चले जायेंगे कृष्णा - तुम्हे कही जाने की जरुरत नहीं है, तुम मेरे साथ मेरे घर चलोगे वहा रहकर तुम अपनी पढ़ाई पूरी कर लेना.. 

निखिल - पर हम ऐसे तुम्हारे साथ कैसे जा सकते है कृष्णा - भरोसा रखो तुम्हे वहा कोई कुछ नहीं कहेगा, और मेरे घर में भी सब है अकेले रहने को थोड़ी बोल रहा हु... 

निखिल को सोचता देखकर अमन कहता है - निखिल कृष्णा सही कह रहा है  तुम कहा जाओगे अकेले और मामाजी के घर पर रह नहीं पाओगे  लगभग 2 घंटे की बहस के बाद निखिल कृष्णा के साथ जाने को तैयार हो गया......... 

इतने में अमित भी वहा आ गया कृष्णा ने निखिल से गाड़ी में बैठने को कहा 

कृष्णा ने अमित और अमन को भी साथ आने के लिए कहा तो अमन ने कहा की रिजल्ट के बाद वो दोनों जल्दी ही उसके घर आएंगे.......

 उन दोनों से विदा लेकर कृष्णा और निखिल एक नए सफर की और चल पड़े जहां दोनों की जिंदगी अब बदलने वाली थी......... 

रास्ते में निखिल ने कृष्णा से पूछा- कब तक पहुंचेगे हम लोग 

कृष्णा - 7-8 घंटे लग जायेंगे 

निखिल - बहुत लंबा सफर है

कृष्णा - हां

निखिल - तुम्हारे घर में कौन कौन है? 

कृष्णा- ये अच्छा सवाल किया तुमने, जब तक मैं तुम्हे सब घरवालों के बारे में बताऊंगा तब तक रास्ता जल्दी कट जाएगा 

निखिल - तो फिर बताओ ? 

कृष्णा - लेकिन मैं सबका शार्ट इंट्रोडक्शन  दुगां ठीक है.....

कृष्ण - सबसे पहले मेरे दादाजी वीरेंद्र सिंह राणावत - घर में सबसे बड़े लेकिन सबसे ज्यादा बिंदास और मस्त रहने वाले गुस्सा तो जैसे इनको कभी आता ही नहीं मेरी दादीजी सुमित्रा से बहुत प्यार करते है, इन्होने अपने जमाने में घरवालों के खिलाफ जाकर लव मैरिज की थी और आज भी ये हमारे घर में ये दोनों बेस्ट कपल कहलाते है.......

निखिल मुस्कुराते हुए कृष्णा की बात सुने जा रहा था कृष्णा ने बोलना जारी रखा उनके बाद मेरे पापा महेंद्र सिंह राणावत - घर में सब इनको हिटलर बुलाते है निखिल ने चौंकते हुए पूछा - पर हिटलर क्यों ? 

कृष्णा - पापा बहुत सख्त मिजाज के है घर में कोई भी उनके सामने नहीं जाता सब डरते है इससे  किसी की हिम्मत नहीं उसके सामने जाकर उनसे आँखे मिलाकर बात कर सके,, दादाजी भी नहीं पर अगर किसी ने उनका दिल जीत लिया तो फिर वो उसके लिए जान तक देने को तैयार हो जाते है "पापा के बाद मेरी माँ बीना देवी - पापा जितने सख्त है माँ उतनी ही नरम है उन्हें खाना बनाने का बहुत शौक है तुम एक बार उनके हाथ को आम का अचार खाओगे  भूल जाओगे कसम से ,, वो सबसे बहुत प्यार करती है और सबसे ज्यादा मुझे ., क्युकी में उनका लाडला बेटा हुं वो बहुत प्यारी है तुम मिलोगे ना उनसे तब जान जाओगे......

उनके बाद चाचा विक्रम सिंह राणावत और चाची सुमन दोनों की अरेंज मैरिज हुयी थी लेकिन जब तक दोनों का दिन में एक बार झगड़ा नहीं होता तब तक इनका प्यार बेकार है जितना झगड़ा उतना ही दोनों को एक दूसरे से प्यार भी है, चाचा पापा के सात फेक्ट्री सम्हालते है और चाची माँ के साथ घर के काम में हाथ बटाती है...

इनकी एक बेटी भी है रचना अभी कॉलेज पढ़ रही है घर में सबसे छोटी है इसलिए सबकी लाड़ली है दिनभर घर में मस्ती करती है उसे लव स्टोरी पढ़ना बहुत पसंद है और इन सब के अलावा वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त भी है ,, 

इनके बाद मेरी बहन पल्लवी दी - पल्लवी दी मुझसे 3 साल बड़ी है, जीजू की मौत के बाद वो हमारे साथ ही रहने लगी, वो I.P.S बनना चाहती थी लेकिन जीजाजी की मौत के बाद बीच में ही छोड़ दी और अब पापा ने मना कर दिया, वो घर में सबसे ज्यादा बाते नहीं करती बस अपने कमरे में ही रहती है। उनके बाद मेरी फेवरेट बुआ मीनाक्षी और उनके पति प्यारे मोहन - शादी के बाद फूफाजी ने घर जवाई बनकर रहना शुरू कर दिया, वो एक नंबर के कामचोर और आलसी इंसान है सारा दिन घर में पड़े रहते है न उनको अपने मान सम्मान की चिंता है ना बुआ और अपने बच्चे की ,, उन्होंने खुद को ऐसा बना लिया की कोई कुछ भी कहे उन्हें फर्क नहीं पड़ता पर बेचारी मेरी बुआ.......

निखिल - सब ठीक हो जायेगा जिस दिन उन्हें खुद की अहमियत समझ जाएगी.....

कृष्णा  पर कब ? निखिल - ही कहकर निखिल मुस्कुराने लगा निखिल की मुस्कुराहट में बहुत गहरा राज छुपा था लेकिन कृष्णा समझ नहीं पाया वो गाड़ी चलाता रहा और निखिल को घर और घरवालों के किस्से सुनाता रहा फिर कहा "अब सुनो इन सबके बाद घर का सबसे लाडला , सबकी जान के बारे में पर निखिल का कोई जवाब न सुनकर कृष्णा ने उसकी तरफ देखा तो पाया कि वो सो चुका था "ये लो जिसके बारे में जानना सबसे ज्यादा जरूरी या उसके बारे में तो सुना ही नहीं कोई नहीं मैं फिर भी बता देता हु घर में सबसे लाडला मैं कृष्णा सिंह राणावत जो एक लड़के से बहुत प्यार करने लगा है

कृष्णा ने निखिल को देखते हुए कहा लेकिन वो सोया हुया था,, कृष्णा उसे प्यार से देखता रहा हवा से चेहरे पर आये बालो को हटाकर उसने गाड़ी की रफ्तार थोड़ी बढ़ा दी ... 

कृष्णा इत्मीनान से गाड़ी चला रहा था, शाम तक शिवगढ़ पहुंच गए जैसे ही गाड़ी को गांव की तरफ बढ़ाया.....

कृष्णा ने चिल्लाकर कहा - अरे बाबा !! ध्यान से अभी ब्रेक नहीं लगता ना तो चोट लग जाती आपको बूढे ने कृष्णा की तरफ देखा और फिर चलकर निखिल की तरफ आया, निखिल हैरान परेशान से देखे जा रहा था निखिल के पास आकर बूढे ने पहले उसके चेहरे की तरफ देखा और फिर गौर से उसके हाथ की तरफ देखकर बड़बड़ाने लगा....... 

"आ गयी तुम, तुम्हे आना पड़ा, खिच लायी उसकी मोहब्बत तुम्हे यहा तक ! उस अधूरी मोहब्बत को पूरा करने आयी हो तुम !! जरूर करोगी .. वो जो अधूरा रह गया था वो प्यार जरूर पूरा होगा वो लौट आयी है !! कहकर वो हँसता हां दूसरी तरफ चला गया उसकी बातें सुनकर निखिल परेशान हो गया......

उसने कृष्णा की तरफ देखकर पूछा- ये कौन है ? 

कृष्णा - परेशान मत हो, ये पागल बाबा है राह जाते लोगो को ऐसे ही परेशान करता रहता है .. 

कृष्णा ने पानी की बोतल निखिल की तरफ बढ़ा दी पानी पिने के बाद कृष्णा ने गाड़ी स्टार्ट की और घर की तरफ चल दिया......

निखिल रास्ते में सब बड़े गौर से देखते हुए जा रहा था उसे परेशान देख कृष्णा ने पूछ लिया - निखिल तुम ठीक हो ?

 हां, पता नहीं क्यों ऐसे लग रहा है जैसे मैं यहां पहले भी आ चुका हुं ये निखिल ने अपनी परेशानी जाहिर करते हुए कहा 

कृष्णा - निखिल नींद के कारण तुम्हें ऐसा लग रहा है, यहाँ तो तुम शायद आज पहली बार आये हो.....

 निखिल चुपचाप बाहर देखता रहा ,, सूरज ढलने से पहले दोनों घर पहुंच गए .. 

कृष्णा ने गेट के सामने गाड़ी रोक दी एक नौकर भागता हुआ आया और गेट खोल दिया कृष्णा ने गाड़ी आगे बढ़ाई और घर के आंगन में लाकर रोक दी..... 

निखिल गाड़ी से निचे उतर गया उसने देखा सामने एक बहुत बड़ा घर था। निखिल नजरे घुमाकर चारो तरफ देखने लगा उसने ऐसे घर सिर्फ फिल्मो में देखे थे .. कृष्णा भी गाड़ी से बाहर आया 

निखिल ने देखा परिवार के सभी लोग सामने ही खड़े थे उनको देखकर निखिल को जानने में बिलकुल देर नहीं लगी, उसने सबको पहचान लिया जैसे कृष्णा ने बताया था.......

निखिल के मन में एक अजीब सी घबराहट होने लगी कही कृष्णा के घरवाले उसके इस तरह घर आने का बुरा ना मान जाये.....

कृष्णा निखिल के साथ चलकर घरवालों के सामने आया वो कुछ कहता उस से पहले ही महेंद्र सिंह बोल पड़े -"हमने तुम्हे शहर डिग्री लेने भेजा था, पर तुम तो कुछ और ही लेकर आये हो - उन्होंने सख्त आवाज में कहा पापा ये हमारा दोस्त है, कॉलेज की छुट्टिया हो गयी इसलिए हमारे साथ आप लोगों से मिलने चला आया - कृष्णा ने अपनी आँखें नीचे करते हुये कहा 

महेंद्र सिंह - हमने शहर आपको पढ़ने भेजा था पर लगता है आप कोई और ही सबक सीखकर आये है कृष्णा चुपचाप सुनता रहा तभी दादाजी ने कहा - महेंद्र बच्चो को कमसे कम अंदर तो आने दो , दादाजी की बात सुनकर कृष्णा के पापा अंदर चले गए.....

दादाजी दोनों के पास आये निखिल ने झुककर उनके पैर छू. लिए तो दादाजी ने मुस्कुराकर कहा - खुश रहो बेटा.....

निखिल मुस्कुरा दीया दादाजी ने दोनों से अंदर चलने को कहा तो कृष्णा की माँ ने उसे रोक दिया...... 

सब सोच में पड़ गए कुछ ही देर में वो बड़े से बर्तन में धुप लेकर आ गयी उसे जलाकर निखिल और कृष्णा की नजर उतारते हुए कहा - बच्चे इतनी दूर से चलकर आये है किसी की बुरी नजर ना लगे इनको .. 

कृष्णा निखिल की तरफ देखकर मुस्कुराया निखिल ने उनके पैर छूये और कहा - जिनके पास ऐसी माँ हो उनको भला नजर कैसे लग सकती है ... 

बड़े प्यारे हो क्या नाम है तुम्हारा ? - माँ ने निखिल के सर पर प्यार से हाथ फिराते हुए कहा -" जी हमारा नाम निखिल है, निखिल ने मुस्कुराकर कहा.....

उसके बाद सब एक एक करके निखिल से आकर मिलने लगे .. 

निखिल सभी को बहुत पसंद आया निखिल सबसे बात कर ही रहा था तभी रचना कृष्णा के पास आयी और उसे कोहनी मारते हुए कहा - कौन है ये ?

कृष्णा ने उसे फुसफुसाते हुए कहा- तेरी होने वाली भाभी.......

क्या भाभी रचना ने जोर से कहा की कृष्णा ने उसका मुंह बंद कर दिया सब उन दोनों की तरफ देखने लगे तो कृष्णा ने कहा - कुछ नहीं ,,, आप सब लोग अंदर चलिए हम दोनों आते है..........

निखिल सबके साथ अंदर चला गया........

https://youtu.be/WOmuFXAcg0M

Movie by Payal Foundation (Lucknow)


Comments

  1. So nice yrr I wish meri life m v Krishna jesa koi pagal aa jaye

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    1. Seriously its to curious kas mere life main bhi krishna ki tarha ek pagal aur natkhat ata

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    2. Kayan's Gay kahani12 January 2021 at 18:40
      Ap ek neya kahaani padh sakte hain..ek baar ap padh lijiye
      Nikhil ki premnkahani jitni sundar to nehin hai,, but achha lagega apko https://gaylovestoryhindi2021.blogspot.com/2021/01/kayan-ki-zindegi-part-4.html

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  2. It's very nice story dude. You r doing great.

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    1. Kayan's Gay kahani12 January 2021 at 18:40
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  3. It's very difficult to express fillings for anyone , when situation is something like that

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  6. Kiya nikhik love story end ho gya plz iska next part release karo .I will wait .

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    1. https://boyslovestoryhindi2021.blogspot.com/2021/01/kayan-ki-zindegi-part-4.html

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  7. Kayan's Gay kahani12 January 2021 at 18:40
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    Nikhil ki premnkahani jitni sundar to nehin hai,, but achha lagega apko https://gaylovestoryhindi2021.blogspot.com/2021/01/kayan-ki-zindegi-part-4.html

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  8. Jldi kayan Ka 5 part likye sir hum bhi ap ke sath kahani likna chate h plzzz and me

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  9. Ye kahani ladki ke liye likhi thi baad m badal di h

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  10. boyslovestoryhindi2021.blogspot.com

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