यह ज़िन्दगी भी कितनी अजीब होती है। जो हम चाहते हैं वो हमें मिलता नहीं और जिसके बारे में हमने कभी सोंचा भी नहीं होता वो एक अनकहे ख्वाब की तरह बिना चोली फैलाए हमारी गोद में आ गिरता है। कितने साल हो गए हैं इस बारिश को इतने गौर से देखे हुए उसे महसूस किये हुए और आज भी देखो ना बारिश की इन नन्ही बुंदों को मैं अपने हाथों में कहाँ ले पा रही है पहले तो मुझे यह बारिश बिलकुल पसंद नहीं थी लेकिन जब से मेरी ज़िन्दगी में सिद्धांत आया था न जाने क्यों हर बार मुझे
मुस्कुराती हुयी दिखने लगी थी। जैसे बारिश का हर एक कतरा मुझसे कहा करता हो गगन तुम बेहद सुन्दर हो और मैं बस शरमा के रह जाया करता था और एक आज का दिन है नहीं पसंद मुझे बारिश का यूँ अचानक चले आना.....
नहीं पसंद मुझे बारिश का बेखबर घर की खिड़की से अन्दर झांकना नहीं पसंद मुझे पह बादल ये लम्हें जो हर बरसात के मौसम में इस तरह आ धमकते हैं जैसे मुझसे कोई बड़ा गहरा रिश्ता है इनका......
गहरा रिश्ता यह सोचते सोचते गगन ने एक लम्बी सांस ली और अपनी आँखे बंद कर ली। बालकनी में इस तरह से बैठे उसे आधा घंटा हो गया था.....
अपनी आँखे खोलने से पहले सीली हो आयी आँख को उसने अपने रूमाल से पोछ लिया.....
दो साल पहले उसने जो भी फैसला लिया था अपनी मर्जी से ही तो लिया था ऐस ही किसी गहरे रिश्ते को वो खुद ही तो खत्म करके आया था....
आज कई दिनों के बाद उसे उस दिन की याद आ रही है जब सिद्धांत से उसने आखिरी बार बात की थी शायद यह आसू उसी बरसात की याद है शायद यह आँसू उस प्यार के है शायद वह आसू उसी उपहार के हैं जिसे उसने अपनी झोली में गिरने नहीं दिया था....
सिद्धांत ने प्यार के बदले में उससे कभी कुछ नहीं मांगा। कभी कुछ भी तो नहीं माँगा ? अगर माँग लेता तो शायद हिम्मत कर भी लेती अपने मम्मी पापा को सच बताने की पर वो कैसे कहता उनसे कि वह अपनी जिन्दगी सिर्फ सिद्धांत के साथ बिताना चाहता है आखिर वह एक गे है.....
उसके पापा का सपना था कि वह डॉक्टर बने उनका यह एक सपना तक वह पूरा नहीं कर पाया था तो वह उनसे कैसे कह देता कि उसे अपनी मर्जी से शादी करनी है.....
उनसे किस मुंह से जाकर कहता कि वह उसके लिए अब लड़की देखना बंद कर दे आगे की पढ़ाई करना तो सिर्फ एक बहाना है आज दो साल के बाद भी उसके दिल में सिर्फ सिद्धांत के लिए ही प्यार है...... लेकिन सिद्धांत इन सब में उसका भी क्या दोष था उसे तो पता भी नहीं कि उसकी गगन उसे कितना चाहता है अगर किसी तरह जान लेता तो क्या वो खुद को इतना दुर कर पाता.....
पर जानता भी कैसे ? गगन ने उसे कभी सच पता ही नहीं चलने दियाऔ उसने उस आखिरी मुलाकात में सिद्धांत से बस इतना कहा था- सिद्धांत मुझे नहीं लगता कि मैं प्यार करता हूं तुमसे करता होता तो आज सब कुछ भूलकर तुम्हारे साथ होता तुम्हारी फिक्र होती मुझे तुम्हारी परेशानी से मुझे परेशानी होती पर ऐसा नहीं है तुम भूल जाओ मुझे और वहां
दूर चले जाओ वापस लौट के फिर कभी नहीं आना। सिद्धांत अपने प्यार को समेट कर चुपचाप वहाँ से चला गया था.......
सिद्धांत से हुयी वो पहली मुलाकात भी गगन कैसे भूल सकता है जोरदार बारिश जो उसे हमेशा ही खटकती थी......
इस बरसात से गीली हो आई हरियाली की
सुगंध याद आना उस रेशमी शाम को याद आना लाज़मी है न जाने कैसे एक अनकहा रिश्ता उसके दिल में उतरता चला गया इतना गहरा कि हर एक सांस के साथ सिद्धांत के प्यार की उसके साथ की सुगंध आती कोई नाम नहीं था उस सुगंध का मखमली एहसास का उस बरसात की एक शाम का और वो कोई नाम देना भी नहीं चाहता था.....
उस दिन जोरों की बारिश हो रही थी। इतनी जोरों की उसकी बौक्षार मन के अन्दर तक आ रही थी बारिश की वो महीना जैसे तन को नहीं मन को
भिगो रहा था वह कॉलेज से ऑटो स्टैंड की तरफ निकला ही था कि बेमौसम बारिश होने लगी जो उसे जैसे किसी से मिलवाने को बेताब थी वह बारिश में भीगता हुया, अपनी छतरी को आड़ा-टेढ़ा संभाले उधर ही बढा चला जा रहा था कुछ लोग
बारिश से बचाव के लिए पहले से खड़े थे शायद वो सभी बारिश खत्म होने का ही इंतजार कर रहे थे.....
उस दिन उसे समझ आया जाकर कि तेज बारिश में छतरी भी दीवानी हो जाती है। उसका भी रोम रोम बारिश के पानी के स्वाद में खो जाता है हवा से जिसकी कभी बनती नहीं तो भी तेज बारिश में उसी के संग हो जाना चाहती है.....
वह सर से लेकर पांव तक पूरी तरह भीग चुका था और हल्के हल्के काप रहा था शाम का वक्त था घड़ी 6 बजा रही थी सूट-बूट पहने पीछे खड़े एक चौबीस-पचीस साल के युवक ने गगन से हल्के से कहा-आप पूरी तरह से भीग गये हैं आपको ठण्ड लग जाएगी।आप चाहे तो मेरा सूट
ले सकते हो.....
देखिये यहां काम करता हूँ किसी दिन यहाँ से
गुजरियेगा तो लौटा दीजिएगा। मेरे पास दूसरा है ।
गगन को अबभी याद है कि उसने किस तरह उसकी तरफ गुस्से से देखा था। फिर उसने अपनी छतरी को बंद किया और खुद को रूमाल से पोछने लगा वो कुछ नहीं बोला
सिद्धांत भी चुपचाप खड़ा रहा। आपका घर कहां है? देखिये बारिश तेज हुयी है शाम को वहाँ से औटो नहीं मिलेंगे। आप चाहे तो मैं आपको बाइक से घर छोड़?" सिद्धांत ने फिर से कहा।
आप थोड़ी देर चुप बैठेंगे। मैंने आपसे कोई मदद मांगी क्या ?"
गगन ने उस लड़के से पीछा छुड़ाने के लिए गुस्से से कहा था वी चुप होकर थोड़ा दूर खड़ा हो गया था इतने में गगन की जोरों की छींक आनी शुरू हो गयी थी उसका रूमाल भी पूरी तरह से भीग चुका था। फिर सिद्धांत ने ही अपना रूमाल उसके।
आगे बढ़ाते हुए कहा था-यह तो ले लीजिये वरना मुझे मेरे इंसान होने पर दुख होगा......
हल्की सी मुस्कराहट तैर गयी थी वो शब्द, वो वाक्य, आवाज़ का उतार चढ़ाव वैसा का वैसा ही आज भी याद है गगन को उसने मुस्कुराते हुए सिद्धांत से रुमाल ले लिया था "मेरा नाम सिद्धांत है- सिद्धांत ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा था गगन ने फिर से उसकी तरफ देखा पर इस बार उसकी आँखों में गुस्सा नहीं था सिद्धांत ने अपना हाथ वापस ले लिया कुछ देर दोनों यूही चुपचाप खड़े रहे बारिश का संगीत जैसे उन दोनों के बीच की खामोशी में मंद-मंद बह रहा था बारिश हल्की हो चुकी थी वहां खड़े सारे लोग एक-एक करके चले गए थे। अब सिर्फ तीन लोग थे गगन सिद्धांत और उनके बीच की खामोशी।
आप चाहे तो मैं आपको कहीं ड्रॉप कर सकता हूं- सिद्धांत-एक बार फिर हिम्मत करके कहा
जी नहीं मुझे यही पास तक जाना है मैं ऑटो लेकर चली जाऊंगा-उसने हल्के से मुस्कुराकर जवाब दिया। फिर सिद्धांत ने अपने कोट को निकालकर गगन के कंधे पर रख दिया था और हल्की हो रही बारिश में भागकर अपनी बाइक की तरफ चला गया। उसने बाइक पार्किंग से निकाली और गगन को आने का इशारा भी किया लेकिन वह नहीं गया ज़र वहीं खड़ा रहा था जब कुछ और देर इंतजार करने के बाद भी जब वह नहीं गया तो सिद्धांत वहाँ से चला गया था.....
चारु को यद आ रहा है कि कैसे सिद्धांत के उस पुराने कोट की जेब में उसे उसकी पॉकेट डायरी मिली थी उसमें उसका नंबर था......
अगली शाम उसका धन्यवाद देने को उसने फोन मिला दिया था उस दिन से शुरू होकर बातों का सिलसिला ना जाने कब गहरी दोस्ती और फिर प्यार में बदल गया दोनों को ही पता नहीं चला.....
कभी किसी किताबों पर बातें होती थी तो कभी किसी कहानी पर....
सिद्धांत की लिखी सारी कहानियां पसंद आती थी गगन को और यह कहानियां ही तो उसे सिद्धांत के करीब लायी थी इन्हीं किसी कहानी से वो मन ही मन सिद्धांत को पसंद करने लगा था उसे चाहने लगी थी.....
अपनी इस चाहत में वह सब कुछ भूल गया था
अपने पापा का सपना अपनी माँ से किया वादा अपने परिवार की इच्छा हो उसे बस एक चीज़ याद रही थी सिद्धांत.....
सिद्धांत शुरू से ही कम बोलता था। उसने अपने अंदर कई शब्द अल्फाज कविताएं कहानियां छुपा रखी थी सिद्धांत के सपनों को वो करीब से जानना चाहता था......
सिद्धांत ने हिंदी से स्नातक किया था और फिर पार्ट टाइम मास्टर्स में दाखिला लेकर एल जी बी टी के ब्लॉग के लिए काम करने लगा था वैसे उसका सपना आई.ए.एस. बनने का था.....
मैं सरकारी कॉलेज से बी फार्मा कर रहा था और मेरा आखिरी साल का और साथ में ही मेडिकल एग्जाम की तैयारी भी......
जब तीन प्रयासों के बाद भी उसका मेडिकल का एंट्रेंस एग्जाम क्लियर नहीं हुआ तो उसके आगे एम फार्मा करने का निश्चय कर लिया....
एक दिन सिद्धांत ने उससे अपने दिल की बात कह दी वो दृश्य आज भी उसकी आँखों में प्यार के एहसास के साथ तैरता है......
जब सिद्धांत ने कांपते हाथों से उसे एक गुलाब दिया था और एक ही सांस मे सब कुछ कह दिया था। उसने जीवन भर का साथ माँगा था। जो बाकी रह गया था उसे एक लम्बे से खत में लिखकर कहा था वो आज भी वो खत प्रतिदिन पढ़ता है.....
लेकिन उस समय के लिए पार्क में इतनी चहल-पहल होने के बावजूद एक ऐसे सन्नाटे में बदल गई थी जिस से लग रहा था कि कोई अनहोनी होने वाली है वह यही तो नहीं चाहता था उसे यूं जिंदगी भर के लिए किसी का साथ नहीं चाहिए था क्योंकि उसे पता था ऐसा संभव नहीं उसे सिद्धांत पसंद था बेहद पसंद था उसकी दोस्ती पसंद लेकिन प्यार ? सिद्धांत को कैसे समझाए कि वह चाहकर भी यह उपहार यह प्यार का एहसास नहीं ले सकता था को उसने अपने पापा से वादा किया है कॉलेज की पढ़ाई बाहर करने के बदले उसके पापा ने उससे एक वादा लिया था जिसे वो आज तक निभा रहा था वह कभी कभी प्यार व्यार के चक्कर मैं नहीं पड़ेगा जिस चीज के लिए बाहर पढ़ने गया है उस चीज पर ध्यान देगा और सिर्फ पढ़ाई करेगा अपने पापा की पसंद के लड़की से शादी करेगा....
गगन को आज भी याद है कि उस दिन भर वह कितना रोया था अकेले अपने कमरे में कि कितना बुजदिल है वह जो अपनी जिंदगी के फैसले नहीं कर सकता अपने लिए प्यार नहीं सुन सकता कितना कायर है कि अपने बारे में बात नहीं कर सकता अपने घर वालों से अपने पापा से नहीं कह सकता अपने मम्मी से नहीं कह सकता.....
उसने सिद्धांत से थोड़ा सा समय मांगा था पर
पर समय मांगना तो बस एक बहाना था ताकि उस समय सिद्धांत का दिल ना टूटे...
तभी यादों की इन गिरफ्त से चोरों को छुड़ाते हुए उसका मोबाइल बज उठा वही गाना जो सिद्धांत
का पसंदीदा हुआ करता था.....
"एक मुलाकात जरूरी है सनम जिंदा रहने के लिए तेरी कसम एक मुलाकात जरूरी है सनम "....
पापा का कॉल था....
हेलो पापा- गगन ने उदास चेहरे से मुस्कराने की कोशिश करते हुए कहा....
हां बेटा- कैसा है मेरा बेटा?- उसके पापा ने बेहद खुश होकर पूछा अकसर उसके पापा इतना खुश तभी होते है उब एक और रिश्ता.....
"पापा मुझे भी शादी नहीं करनी मैंने कितनी बार कहा है आपने मुझे अभी और पढ़ना है।" - गगन ने पापा की खुशी की वजह का अनुमान लगाते हुए कहा....
पर बेटा एक एक दिन शादी तो तो करनी ही होगी। और इस बार तुम ना नहीं होगी लड़की से मिले बिना तो बिल्कुल नहीं पापा ने जोर देकर कहा।
लड़की अभी अभी आयकर विभाग में अधिकारी बनी है दिखने में अच्छी है और अच्छे परिवार से है तुम उससे मिलने जा रहे हो बस तुम्हारी मम्मी भी यहीं- चाहती हैं ।"
एक
पर पापा......
अरे बेटा एक बार मिल तो लो मिलने के बाद तुम ना नहीं कह सकोगे गगन की मम्मी ने उसके पापा से फ़ोन लेते हुए कहा-गगन इस बार चाहकर भी ना नहीं कह सकोगे...
उसके सामने सिद्धांत का चेहरा आ गया। क्या उसे एक बार मम्मी पापा से सिद्धांत के बारे में बात करनी चाहिए पर सिद्धांत कहाँ है? उसका भी तो दो
साल से कोई पता नहीं मैंने भी तो उससे संपर्क करने की कभी कोई कोशिश नहीं की गगन के सवाल बिना जवाब के ही पानी में बने हवा के बुलबुलों की तरह ऊपर उठकर खत्म हो जा रहे थे.....
उसे नहीं समझ आ रहा था वह अब क्या करे चारगगन ने अपना मोबाइल उठाया और अपने सबसे अच्छी दोस्त राधा का नंबर लगा दिया पर उधर से कोई जवाब नहीं मिला करीब आधे घंटे बाद राधा उधर से कॉल किया....
गगन फोन उठाते राधा से बोला क्या तेरे पास सिद्धांत का नंबर है...
राधा ने जवाब दिया नहीं पर अब क्या करेगा सिद्धांत के नंबर का...
गगन ने कहा बस कुछ नहीं उससे बात करनी थी उधर से राधा ने कहा कि आब क्या बात करनी है कितने दिन वो तुम्हें समझाता रहा पर तुम्हें समझ में आई नहीं रहा था और अब तुम्हें इतने दिनों के बाद तुम्हें सिद्धांत का नंबर चाहिए....
सिद्धांत का नंबर ना मेरे पास है और ना किसी और के पास तेरे उस इंसीडेंट के बाद वह हर किसी से डिस्कनेक्ट हो गया उसने अपनी दुनिया ही अलग कर ली थी राधा ने बताया.....
यह सुनकर गगन उदास होकर बोला अच्छा राधा सुनो मेरे लिए रिश्ता आया है इस बार मुझे लगता है मुझे हां कह नहीं पड़ेगी मेरे पास मना करने का कोई बहाना नहीं है.....
इतने दिन मम्मी पापा से शादी की और रिश्ते के लिए टालता रहा कि मुझे कहीं ना कहीं लगता था कि सिद्धांत वापस आ जाएगा पर अब शायद बहुत देर हो चुकी है.....
उधर से राधा ने कहा वह हमेशा ही तेरा इंतजार करता था तूने ही कभी नहीं देखा तू जब उसको इतना प्यार करता था तूने उसको जाने कैसे दिया दूसरी चीज तूने अपने मम्मी पापा से कभी इस चीज के बारे में नहीं बताया एक बार बात तो कर के देखता
खैर छोड़ दो सब जो हो गया सो हो गया
अपनी आगे की लाइफ पर ध्यान दें और अपने पापा के बताए रिश्ते की लड़की से शादी का हो सकता है कि वो कभी तेरी किस्मत में था ही नहीं बेहतर रहेगा कि तू अपने आने वाली जिंदगी में ध्यान दें
गगन में गुस्से में फोन रख दिया उसे बहुत रोना आ रहा था यह क्या कर दिया उसने वह लड़का जो से बेपनाह प्यार करता था जो जिससे वह बेपनाह प्यार करता था उसने कभी भी कुछ नहीं मांगा सिर्फ और सिर्फ साथ के अलावा गगन को अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था कितना बड़ा बेवकूफ में उसने जिंदगी भर का साथ मांगा था....
उसे मैंने खुद ही अपनी जिंदगी से अलग कर दिया खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली
शायद राधा ठीक ही कह रही है कि मुझे इसी फैसले के साथ जीना होगा या गुजारना होगा किसी के साथ जीने का मन ही नहीं है अकेले ही जीना चाहता हूं
गगन ने मन ही मन में फैसला कर लिया क्या वह शादी तो बिल्कुल नहीं करेगा चाहे कुछ भी हो जाए चाहे आप किसी से भी मुझे लाना पड़ जाए लेकिन अब शादी तो मैं नहीं करूंगा जब तक एक बार मिलने के लिए का सिद्धांत से तब तक शादी नहीं करूंगा चाहे कितने ही साल क्यों न लग जाए और मुझे कितना ही क्यों न तलाश ना पड़े सिद्धांत को जब तक मैं उससे मिल नहीं लेता तब तक मैं और किसी का साथ अपनी जिंदगी में नहीं लेकर आऊंगा
बस एक बार मिलकर अच्छे से मुस्कुराते हुए बात हो जाए.....
कल सुबह पापा के बताएं लड़की से मिलना था मैं कॉफी शॉप पहुंच गया मन ही मन मैंने सोचा कि मैं जिस लड़की से मिलने आया हूं उस लड़की को मैं सब कुछ सच-सच बता दूंगा....
पापा ने बताया कि वह ब्लू कलर का कुछ पहन कर आई है पापा ने अभी तक ना ही उस लड़की की फोटो भेजी थी और ना ही मैंने उसे कभी देखा था तुम्हें पहचानता कैसे पापा ने कहा कि वह कॉर्नर की टेबल पर बैठी होगी.....
पापा ने यह भी कहा कि तुम मुझसे अच्छे से बात करना उसको अपने बारे में बताना उससे उसके बारे में पूछना बिल्कुल जेंटलमैन टाइप रहना.......
सोच ही रहा था कि तभी पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा और पूछा क्या मेरे साथ कॉफी पीना पसंद करोगे आवाज जानी पहचानी थी वह पीछे मुड़ा देखा तो ब्लू शर्ट में सिद्धांत खड़ा था
तभी एक मैसेज आया मैसेज पापा काथा उसमें सिद्धांत की तस्वीर थी और नीचे टेक्स्ट में कुछ लिखा भी था एक इस्माइल वाली स्माइली थी पापा ने लिखा था काश तुम पहले बता देते तो अच्छा होता
तुझे यूं रोना नहीं पड़ता मुझे नहीं पता था कि मेरा बेटा एक वादे को निभाने के लिए अपनी पूरी की पूरी जिंदगी मेरे खातिर मेरे वादे के खातिर दांव पर लगाने लगा था तेरी खुशी में ही हमारी खुशी होगी तू अपनी जिंदगी के लिए जैसा फैसला करेगा हम उस में खुश होंगे क्योंकि हमारे लिए तुम्हारी खुशी ज्यादा मायने रखती है.....
गगन ने रिप्लाई में लिखा सॉरी पापा काश मैं पहले कह पाता....
उधर से रिप्लाई आया कहा था ना इस बार ना नहीं कर पाओगे गुड लक बेटा.....
So heart touching
ReplyDeleteVery nice but meri story kbhi puri nhi hogi😢😢
ReplyDeleteMatlab
DeleteWhy
DeleteSatawa part v likhiye plz
ReplyDeletePer aisa sirf kahaniyo mai hota hai
ReplyDeleteYou are absolutely right.
Deletebahut aachi story hai
ReplyDeleteWah, maza aa gaya. Heart touching story.
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