रचना ने मुंह से कृष्णा का हाथ हटाकर कहा - मुंह क्यों बंद किया
कृष्णा -उसे सुन जाता तो.....
रचना - क्या ? आपने अभी तक उनसे कहा नहीं...
कृष्णा - नहीं
इसलिए तो उसे यहाँ लाया हु ताकि अपने दिल की बात बता सकू......
रचना - ohh पर चॉइस एकदम मस्त है आपकी बिल्कुल शाहरुख काजोल के जैसे.....
कृष्णा हसने लगा फिर कहा-अच्छा सुन जब तक मैं उसे बता नहीं देता घर में किसी को इस बारे में पता नही चलना चाहिए.......
रचना - नहीं चलेगा प्रॉमिस लेकिन एक शर्त पर
कृष्णा - वो क्या ?-कृष्ण ने उसे घूरते हुए कहा
रचना - आपको मुझे अपनी पूरी स्टोरी सुनानी होगी ...
ओके - कहकर कृष्णा रचना के साथ अंदर आ गया ...
उसने देखा माँ चाची दादी सब निखिल बैठा है रचना भी उन लोगो के बिच जाकर बैठ गयी......
मैं अपना बैग लिए अपने कमरे में चला गया कृष्णा, पल्ल्वी रचना और चाचा चाची का.....
कमरा ऊपर था बाकि सबका नीचे
निखिल का पल्लू के कमरे में ठहराया गया वो फ्रेश होने चला गया...
निखिल ने पजामा पहन रखा था कृष्णा की नजरे उस पर टीकी देख रचना ने धीरे से कहा-कंट्रोल भाईसाहब...
हिटलर पापा यही है आपकी सारी आशिकी निकाल देंगे
कृष्णा ने अपनी नजरे प्लेट पर जमा ली निखिल बिलकुल उसके सामने आकर बैठ गया डायनिंग टेबल पर.....
दादाजी, पापा, चाचा, कृष्णा,पल्ल्वी, रचना थे,
निखिल ने माँ और चाची की तरफ देखते हुए कहा-आंटी आप सब भी आईये ना.....
निखिल की बात सुनकर महेंद्र सिंह के हाथ खाते खाते रुक गए उन्होंने निखिल की तरफ देखकर कहा-हमारे यहा घर की औरतें मर्दों के साथ बैठकर खाना नहीं खाती है.....
निखिल को उनकी बात खटकी उसने उनकी तरफ देखते हुए कहा - माफ़ कीजियेगा,
लेकिन साथ खाना खाने से कोई छोटा बड़ा नहीं हो जाता हमारे साथ खाने में क्या बुराई है....
महेंद्र सिंह-ये हमारे घर का उसूल है और ये घर और इस घर के लोग इन्ही उसूलो पर चलते है......
निखिल-ऐसे उसूल किस काम के जो औरत मर्द में भेदभाव करे.....
महेंद्र सिंह-हमे आपके बात करने का तरीका पसंद नहीं आया.....
निखिल-हमे आपके उसूल पसंद नहीं आये
निखिल के इतना कहते ही वो अपनी जगह से उठ गए उनके उठते ही सब घबरा रचना ने धीरे से
कृष्णा के कान में कहा-तेरी राधा ने तो आते ही हिटलर से पंगा ले लिया......
कृष्णा भी अंदर ही अंदर घबरा रहा था तभी महेंद्र सिंह ने कहा-मेहमान है इसलिए आपसे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते फिर बीना की तरफ मुंह करके कहा-अच्छा होगा आप इन्हे यहाँ के तोर तरीके समझा दे और हां हम कमरे में जा रहे है हमारा खाना आप वही भिजवा दीजियेगा......
इतना कहकर महेंद्र सिंह तेज कदमो से वहा से चले गए......
निखिल की आँखे नम हो गयी उसने कृष्णा की तरफ देखकर पूछा-क्या हमने कुछ गलत कहा
कृष्णा ने निखिल की तरफ देखकर ना में गर्दन हिला दी....
दादाजी ने कहा - कोई बात नही बेटा
महेंद्र जरा सख्त मिजाज का है तुम खाना खाओ...
दादाजी की बात सुनकर सब खाना खाने लगे उनके खाना खाने के बाद सब उठ उठ कर चले गए....
पल्लवी के कमरे में आ गया पल्लवी खिड़की में खड़ी बाहर की तरफ देख रही थी.....
निखिल ने कुछ नहीं कहा वो उसके पास गया और कहा-हमारा नाम निखिल है.....
मैं पल्लवी, कृष्णा की बड़ी बहन-पल्ल्वी ने मुस्कुराते हुए कहा
निखिल-आप यहाँ अकेले क्या कर रही है ?
पल्लवी - कुछ नहीं बस ऐसे ही खड़े थे..
पल्लवी उसे बैठने के लिए कहती है दोनों बातें करने लगते है किसी से ज्यादा बात न करने वाली पल्ल्वी निखिल से धीरे धीरे खुलने लगती है
कुछ देर बाद कृष्णा अपनी माँ के साथ पल्ल्वी के कमरे में आता है
निखिल खड़ा हो जाता है.....
बीना ने अपने हाथो में कपड़े उठा रखे थी उन्होंने वो निखिल की तरफ बढ़ा दीया.....
और कहा-माफ करना बेटा कृष्णा के पापा की बात का बुरा मत मानना.....
निखिल-अरे !! नहीं आंटी, मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगा......
बीना ने निखिल से कहा जब तक तुम यहां हूं तब तक यही कपड़े पहनना बिना कुछ देर रुक कर बातें करने लगे थोड़ी देर बाद सब लोग अपने बिस्तर की ओर बढ़ गए निखिल भी अपने बिस्तर की ओर आगे कुछ सोच रहा था पर यार वालों के लिए फिर एक हल्की सी मुस्कुराहट और फिर सो गया....
सुबह निखिल उठ कर नहा धोकर अपने कमरे से बाहर आया घर के सारे बड़े फैक्ट्री जा चुके थे कृष्णा के पापा कृष्णा के चाचू फैक्ट्री जा चुके थे चाची और बीना आंटी किचन में कुछ काम कर रहे थे आंगन में मीनाक्षी बुआ पापड़ सुखा रही थी वह जाकर मीनाक्षी बुआ की मदद करने लगा और बातें करने लगा एक अजब सी उदासी थी मीनाक्षी बुआ के चेहरे पर उसने इस चीज की वजह पूछी....
मीनाक्षी बुआ ने कि शादी के बाद लड़की का ससुराल ही उसका घर होता है पर मेरा कोई ससुराल नहीं मैंने अपना कभी ससुराल देखा ही नहीं शादी के बाद बोला ही रहने लगे जब सबके सामने उन्हें घर जमाई बुलाया जाता है तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता पर मुझे बहुत फर्क पड़ता है मैं जानता हूं कि मेरे मन में या मेरे दिल में क्या गुजरती है मैं इस घर में अपना दुख बाद भी नहीं सकती मां पिताजी ने हमें रखा दो वक्त की रोटी दे रहे हैं वही बहुत है इससे ज्यादा और क्या और ना ही मैं तकलीफ देना चाहती हूं अपने परिवार अपने भाई अपने मां बाप को......
निखिल बड़े गौर से उनकी सारी बात सुन रहा था उसने बड़े प्यार से मीनाक्षी बुआ के हाथ में हाथ रखे कहा चिंता मत कीजिए सब ठीक हो जाएगा जिस दिन उनको अपनी अहमियत और अपने आत्मसम्मान का एहसास होगा सब कुछ ठीक हो जाएगा......
मीनाक्षी बुआ की आंखें नम हो गई अब वहां से उठ कर चली गई निखिल बाद में सोचने लगा जिस घर में बहुत कुछ टूटा हुआ जाने से पहले उन सब चीजों को सही करना होगा निखिल को अपने घर जैसा लगने लगा था......
निखिल उठकर बाहर आंगन में आ गया उसने देखा मीनाक्षी बुआ के पति प्यारे मोहन बरामदे में बैठे फल काट के खा रहे हैं........
निखिल चलकर उनके पास गया और उन से कुछ दूरी पर खड़ा होकर जोर से कहा प्यारे मोहन
फूफा जी ने निखिल की तरफ देखा और फिर अपने काम में लग गए......
निखिल ने एक बार फिर आवाज ऊंची करके कहा प्यारे मोहन.......
इस बार उन्हें गुस्सा आ गया उन्होंने निखिल से कहा तुम्हें बड़ो से बात करने की तमीज नहीं है नितिन ने तुरंत कहा बड़ा कौन बड़ा मुझे तो यहां कोई बड़ा नहीं दिख रहा निखिल ने हंसते हुए कहा इस पर प्यारे मोहन ने कहा तुम्हारे सामने तो हू इस घर का दमाद.......
निखिल पर हमें तो आप इस घर में सबसे छोटे मालूम होते हैं ना इस घर में कोई आपको पूछता है और ना मानता है......
प्यारी मोहन ना पूछने दो दो वक्त का खाना मिल रहा है बैठे-बैठे वही काफी है......
प्यारे मोहन की यह बात सुनकर निखिल उनके पास बैठ गया और कहां हां यह अच्छा है किसी बड़े घर की लड़की से शादी कर लो और शादी के बाद घर जमाई बन जाओ और काम चोरों की तरह बैठ कर दो वक्त का खाना खाते रहो फिर चाहे खाना दूध कार से इस घर में इस घर में जानवरों के साथ भी अच्छा व्यवहार होता है क्योंकि उन्हें दो वक्त खाने के बदले में काम करना पड़ता है पर आप कौन सबसे क्या और आपको घर वाले उन सब से भी कम समझते हैं आपकी कामचोरी और सोच के कारण आपकी सोच के कारण की वजह से आपकी पत्नी और आपके बच्चे अपने सपनों का गला क्यों घट रहे हैं कभी यह सोचा है क्या आपने कभी यह सोचा है कि वह अपनी इच्छाओं का और कितना कुछ नहीं सहना पड़ता है.......
कल को आपका बेटा भी किसी घर का घर जमाई बनकर रहने लगा आपको छोड़कर चला जाएगा तब समझ में आएगा अपने अंदर के जमीर को जगाए
जिंदगी को एक अच्छी जिंदगी बनाएं ताकि घर वाले कल को आपकी परेशानी में आपके साथ खड़े हैं ना कि आपकी परेशानी के वक्त आपको ताना दे.....
मेरी बातें बेशक आपको बुरी लगेंगे लेकिन एक बार अपनी पत्नी और अपने बच्चों के लिए सोच कर देखिए......
अपनी शर्तों पर जिंदगी की ना बहुत अच्छी बात है बहुत ही अच्छी बात है लेकिन अपना अपना आत्मसम्मान खोकर जिंदगी जीना मौत से भी बेकार होता हैं.....
इतना कहकर निखिल वहां से उठकर चला गया पीछे छोड़ गया ढेर सारे सवाल जिनमें प्यारे मोहन की अब तक की जितनी भी ज़िंदगी जी थी सब उलझ गई थी......
अगले दिन ही प्यारे मोहन बिना किसी को बताए घर से चला कर मीनाक्षी बुआ बेचैन सीकर में इधर-उधर घूमती रही के लोग रोजमर्रा कितना अपने कामों में लगे थे जब शाम तक प्यारे मोहन नहीं आया तो दादाजी बरामदे में आ गए और उसका इंतजार करने लगे कुछ ही देर बाद दादाजी ने देखा प्यारे मोहन थका हुआ सा चला आ रहा है......
प्यारे मोहन को देखते ही दादाजी उस पर गुस्सा कर बोले तुम्हें पता है तुम्हारी पत्नी सुबह से कितनी परेशान है कामचोर तो तुम सही थे अब घर से बाहर भी रहने लगे......
कितनी परेशान है तुम्हें इस बात का अंदाजा भी है दादा जी की इतनी तेज आवाज सुनकर सब बाहर आंगन में आ गए.....
प्यारे मोहन मैं पास के गांव गया था वहां मुझे खेत की रखवाली का काम मिल गया है बस घर के बंदोबस्त करते करते थोड़ा वक्त लग गया मैं मीनाक्षी और अपने बच्चों को लेने आया अब उनके साथ अपने घर में रहूंगा उनकी खुशी के लिए दोगुनी मा मेहनत करूंगा.......
प्यारे मोहन के मुंह से यह सब बातें सुनकर सब के मुंह खुले के खुले रह गए मीनाक्षी बुआ की आंखों में आंसू रूक नहीं रहे थ वह अपने मुंह पर हाथ रखकर रोने लगी और अपने बच्चों के साथ प्यारे मोहन के पास जाकर खड़ी हो गई.......
प्यारे मोहन मैं हाथ जोड़कर कहा जाने अनजाने में हुई कोई भी गलती माफ कर दीजियेगा मैं आप सबसे माफी मांगता हूं इतना कहते ही दादा जी ने उनके हाथों को अपने हाथों में लेकर कहा इसकी कोई जरूरत नहीं है दमाद जी आपने यह परिवर्तन देख कर मैं बहुत खुश हूं मैं आपने यह परिवर्तन देख कर बहुत ही खुश हूं पर इस परिवर्तन की वजह प्यारे मोहन ने नजरें उठाई और निकल की तरफ इशारा कर दिया सभी निखिल की तरफ देखने लगे निखिल दूर खड़ा मुस्कुरा रहा था......
प्यारे मोहन ने आगे कहना शुरू किया उसकी कटाक्ष भरी बातों में मेरे अंदर का इंसान जगाया मुझे सम्मान से जीने का रास्ता दिखाया आप मुझे जाने की इजाजत दीजिए......
दादा जी ने कहा जाने से पहले तुम सबके लिए जरूरी सामान है वह लेकर जाओ बेटा दादा जी ने प्यारे मोहन के कंधे में हाथ रखते हुए का.....
नहीं पिताजी बड़ी मुश्किल से आत्म सम्मान लौट के आया अब इसे कम होने नहीं देना चाहता
बस मीनाक्षी और मेरे बच्चों को जाने की इजाजत दीजिए.......
प्यारे मोहन ने उनके पैर छूकर कहा
सबने खुशी खुशी मीनाक्षी को विदा किया
आज सभी घर में बहुत खुश थे आज पहली बार मीनाक्षी हुआ सर उठा कर घर की दहलीज पार कर रही थी.......
रचना ने धीरे से कृष्णा से कहा लगता है यह तुम्हारे पापा को भी सुधार देंगा कृष्णा मुस्कुराने लगा
दादाजी निखिल के पास आए और उसके सर पर हाथ रख कर कहा हमेशा खुश रहो बेटा निखिल मुस्कुराने लगा....
रात के खाने के समय सब निखिल की बहुत तारीफ कर रहे थे खाना खाने के बाद निखिल और पल्लवी ऊपर छत में टहलने चले गए टहलते टहलते ही निखिल ने बताया कृष्णा ने मुझे बताया आप आईपीएस बनना चाहती थी......
आपने पढ़ाई क्यों छोड़ दी निखिल ने दुखती रग पर हाथ रख दिया था पल्लवी ने इस पर जवाब दिया मैंने कुछ छोड़ दी.....
पल्लवी ने बड़े ही उदास मन से कहा.....
निखिल क्यों वह भी इसलिए कि आप एक बार पास नहीं हो पाई जिंदगी सबको एक मौका जरूर देती है आपको भी देगी.......
पल्लवी ने इस पर कहा पापा कभी नहीं मानेंगे
पल्लवी आईपीएस बनना मेरे पति चाहते थे मोहित कि मैं आईपीएस बनो उन्होंने सबके खिलाफ जाकर मेरा साथ दिया था एक कार एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई शायद दो अपने साथ वह सपना भी ले गए उनके जाने के बाद कभी खुद को संभाल नहीं पाई पढ़ाई नहीं कर पाई और एग्जाम क्लियर नहीं हुआ........
उसके बाद पापा ने पढ़ाई करने से मना कर दिया
निखिल पल्लवी की आंख से आंसुओं को निकलते साफ देख पा रहा था......
निखिल ने कहा पल्लवी हम आपका दुख समझ सकते हैं हमें पता है कि किसी को खोने का दुख क्या होता है पर आपकी मोहित जी तो नहीं चाहते थे ना ऐसा कि आप जीना ही छोड़ दे उनके बाद मुस्कुराना छोड़ दे........
अगर आज आपके मोहित जी होते वह भी आपसे यही कहते जो मैं कह रहा हूं अपना सपना पूरा कीजिए अपने लिए ना सही तो अपने मोहित जी के के लिए पूरा कीजिए वह चाहते थे ना की आप आईपीएस बने......
पता है पल्लवी आप में एक बहुत बड़ी कमी है की आप मुस्कुराती कम है मुस्कुराए कीजिए अच्छा लगेगा......
अगले दिन पल्लवी को सब लोग नाश्ते की टेबल पर देखकर बहुत खुश थे पल्लवी सब से बातें कर रही थी और सुन रही थी सबको महिंद्र के आते ही सब शांत हो गए.......
महेंद्र ने नाश्ते की टेबल पर पल्लवी को दिखा तो उन्होंने उस से कहा हमें अच्छा लगा कि आप आज हम सब के साथ नाश्ता कर रही है अगर किसी चीज की जरूरत हो तो नी संकोच कह सकती
पल्लवी ने बड़े ही धीमे स्वर में कहा पापा हम पढ़ाई करना चाहते हैं......
महेंद्र ने नजरें उठाई और कहा अभी आप तो जानती हैं कि एक बार आप असफल हो चुकी आप के कहने पर हमने आप को इजाजत दी थी क्या हुआ कुछ तो नहीं हुआ...
पल्लवी निखिल की तरफ देख कर हल्का सा मुस्कुरा दी.......
निखिल साफ-साफ कुछ हंसी के पीछे का दर्द देख पा रहा था....
निखिल ने बोला अंकल अगर कोई एक बार प्रयास में असफल हो जाता है तो क्या वह दोबारा प्रयास नहीं कर सकता....
महिंद्र ने कहा हमें नहीं लगता कि पल्लवी इस बार भी पास कर पाएंगे......
इस पर निखिल ने कहा कम से कम कोशिश तो करने दीजिए......
हमने आज तक आप जैसा मुंहफट इंसान कभी नहीं देखा.....
इस पर निखिल ने कहा सच बोलने को आप इसे मेरा मुंह फट पना समझिए या बेबाकी मुझे नहीं पता...
और मैं गारंटी लेता हूं की पल्लवी दी इस बार जरूर क्लियर कर लेंगी.....
महिंद्र ने कहा ओ तो आप गारंटी भी लेते हैं....
निखिल ने कहा हां हम गारंटी लेते हैं पल्लवी दी इस बार जरूर एग्जाम क्लियर कर लेंगी.....
अगर ऐसी बात है तो हमने पल्लवी को वक्त दिया हमें सेलेक्ट होकर दिखाएं उसके बाद वह जो कहेंगी हम वह करेंगे.....
निखिल ने कहा पक्का.....
खाना खाने के बाद निखिल और पल्लवी पल्लवी की कमरे की ओर चले गए पल्लवी ने कमरे में जाकर निखिल से कहा तुमने यह क्या पंगा नया ले लिया......
निखिल ने पल्लवी दी से कहा कि आप कर सकते हैं मुझे आप पर भरोसा है और मुझे पता है कि आप कर सकती हैं और आप जरूर कर सकते हैं निखिल ने फिर पल्लवी दी के कमरे का होलिया चेंज किया उसे पढ़ने लायक बनाया....
थोड़ी देर बाद बीना और कृष्णा की चाची मंदिर जाने के लिए तैयार हो रही थी निखिल ने भी जाने की बात कही बीना ने कहा ठीक है चलो तुम भी
निखिल ने कहा थोड़ी देर रुके मैं तैयार होकर आता हूं निखिल जब तैयार होकर आया तो आंगन में रचना और कृष्णा बैठे बातें कर रहे थे जब उसने निखिल को देखा तो उसकी आंखें मानव एक जगह टिक के रह गई उसने मन में कहा क्या गजब लग रहा है.....
बिना ने कृष्ण से पूछा मंदिर चलोगे कृष्णा ने मना कर दिया तभी पास बैठी रचना ने उसको को नहीं मारते हो क्या वह भी तो जा रहा है तो तुम भी जाओ कब कहोगे अपने दिल की बात जब चिड़िया चुग जाएगी खेत
कृष्णा उठाओ अपनी मां से कहा ठीक है मैं भी चलता हूं कृष्णा गाड़ी निकाल कर आया सब बैठ कर मंदिर जाने लगे....
मंदिर के रास्ते पर निखिल को एक मंदिर दिखा ऊंचे पहाड़ पर बड़ा ही पुराना सा मंदिर था उसने कृष्णा से पूछा कृष्णा यहां ऊपर क्या है......
कृष्णा ने कहा वहां ऊपर पहाड़ी पर काली मां का एक मंदिर है दादा जी बताते हैं कि वह 150 साल पुराना है......
निखिल ने कहा कि वह मंदिर भी चलेंगे पीछे से बिना ने कहा बेटा उस मंदिर पर कोई नहीं जाता वह मंदिर खंडहर हो चुका है......
सब लोग मंदिर पहुंच चुके थे बीना और सुमन अंदर पूजा करने गए.....
कृष्णा तेजी से निखिल का हाथ पकड़कर उसे मंदिर के पीछे ले आया और उसको दीवाल से सटाकर खड़ा करके कहा कि जब से तुम यहां आए हो मुझसे तो बात ही नहीं करते बाकी सब से करते हो ना बात हो पाती है तुमसे......
इस पर इस पर निखिल ने मुस्कुराते हुए कहा तुम खुद ही गायब रहते हो देखोगे तब तो बात होगी जब दिखते ही नहीं हो तो कब बात होगी
कृष्णा ने कहा तुमने मेरा गांव नहीं देखा ना कल गांव दिखाऊंगा....
अगले दिन कृष्णा ने निखिल को पूरा गांव दिखाने के लिए ले गया दोनों ने बहुत घुमा निखिल बहुत खुश था जब कृष्णा उसे उसका गांव दिखा रहा था उसने एक पल के लिए भी निखिल का हाथ नहीं छोड़ा था कृष्णा के साथ वक्त जाने कैसे बीत गया निखिल को पता ही नहीं चला शाम होने वाली थी कृष्णा उसे झील के पास ले गया था उसी झील के पास जिस के ठीक सामने से वही काली माता का खंडहर हो चुका मंदिर दिखाई दे रहा था....
निखिल एक तक उस मंदिर को देखे जा रहा था कृष्णा ने उससे पूछा क्या हुआ निकल
निखिल ने कहा पता नहीं सुनकर शायद तुम्हें अजीब लगेगा पर मुझे ऐसा लगता है कि मैं उस मंदिर में जा चुका हूं बड़ा अजीब सा लग रहा है ऐसा लग रहा है कि वह मंदिर मुझे अपनी और खींच रहा है....
कृष्णा ने कहा अगर ऐसी बात है तो हम उस मंदिर में जाएंगे पर अभी हमें घर जाना होगा सूरज डूबने वाला है उस झील के किनारे कृष्णा और निखिल दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़े सूरज को डूबते हुए देख रहे थे बहुत अच्छा लग रहा था....
जब कृष्णा निखिल को लेकर आ रहा था तो वह उस मंदिर के बारे में बता रहा था कृष्णा ने कहा जानते हो निखिल उस मंदिर की एक मान्यता है जो कोई भी अपने हाथ में दिया रखें उसकी 500 सीढ़ी चढ़कर ऊपर जाकर माता के दर्शन करता है उसकी की मनोकामना जरूर पूरी होती है
निखिल ने कहा यह बात शायद मुझे पता है ना जाने कैसे तू मंदिर कुछ अलग सा है कुछ अजीब सा है जब जब मैंने उस मंदिर की तरफ देखा है तब तक मुझे लगा है कि जैसे कोई मुझे बुला रहा है
निखिल और कृष्णा घर पहुंच गए थे निखिल पल्लवी जी के कमरे में जाकर पल्लवी के साथ पढ़ाई करने लगा निखिल भी आईपीएस की तैयारी कर रहा था
रात में निखिल पल्लवी रचना कभी-कभी बिना और सुमन मिलकर बहुत सी बातें करते हैं....
कृष्णा यह सब देख कर बहुत खुश था थोड़े ही वक्त में निखिल पूरे घर में घुल मिल गया था दादा जी के साथ चेस खेलना दादी मां के पैर दबाना मां के साथ किचन में काम करना कृष्णा इन सब चीजों से निखिल की तरफ और प्रभावित हो रहा था
मन ही मन निखिल भी कृष्णा को पसंद करने लगा था आप कृष्णा की शैतानियां पर उसे गुस्सा नहीं आता था या वह खुद करना नहीं चाहता था निखिल खुद उसे दिनभर ढूंढता से बातें करने के बहाने ढूंढता था
पर अब तक दोनों में से किसी ने भी पहल नहीं की थी
I am biggest fan of your stories
ReplyDeletehttps://boyslovestoryhindi2021.blogspot.com/2021/07/kayan-ki-zindegi-part-8.html
DeleteJust read dis story
Iska next part kb ayega
ReplyDeletePlz yr ab jaldi Lana next part n bhut pyari story hai ❤️❤️❤️
ReplyDeleteBahut khoovsurat hai story..
ReplyDeleteIts too touchy story I'm feel emotion and there Love
ReplyDeletepl send next part early
Fully filmy story with love romance emotion and tragedy .., and Krishna is my favorite character.
ReplyDeleteBro you wrote very well and keep it up
https://boyslovestoryhindi2021.blogspot.com/2021/07/kayan-ki-zindegi-part-8.html
DeleteYe kahani bhi padhiyega please, i m sure apko achhi lagega
Story with full drama...
ReplyDeleteAp likho pasand na aaye.....ye bolna toh Galt hoga....ab ap fav...writer jo thehre hamre ... Buttering Ni krra me😂🤣....
ReplyDeleteI love it.... Waiting for next part
Keep writing
ReplyDeletePlz next part send karoo
ReplyDeleteI can't wait for it
Please when going to post next part?
ReplyDeleteAp ek neya kahaani padh sakte hain..ek baar ap padh lijiye
DeleteNikhil ki premnkahani jitni sundar to nehin hai,, but achha lagega apko https://gaylovestoryhindi2021.blogspot.com/2021/01/kayan-ki-zindegi-part-4.html
Bahut acchi story hai..plz agala part jaldi laayega besabri se intezar rahega
ReplyDeleteNext part ke liye bhul gye ho kya
ReplyDeleteWaiting for part badly
ReplyDeleteNext part kab ayega
ReplyDeleteAp ek neya kahaani padh sakte hain..ek baar ap padh lijiye
DeleteNikhil ki premnkahani jitni sundar to nehin hai,, but achha lagega apko https://gaylovestoryhindi2021.blogspot.com/2021/01/kayan-ki-zindegi-part-4.html
Yr ye story ab yahi ruki rahegi kya
ReplyDeleteEpisode 7 aa gaya kya???
ReplyDeletehttps://gaykahani2020.blogspot.com/2020/10/kayan-ki-zindegi-part-2.html
ReplyDeleteAp ek neya kahaani padh sakte hain..ek baar ap padh lijiye
ReplyDeleteNikhil ki premnkahani jitni sundar to nehin hai,, but achha lagega apko https://gaylovestoryhindi2021.blogspot.com/2021/01/kayan-ki-zindegi-part-4.html
It's really amazing but ek baat aap nikhil ko kabhi ladka Bata rahe ho or kabhi ladki aaisa Kyu 😁😁😁??? Nikhil ka two type ka kirdar Kyu rakha hai .....????
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